मरीज के परिजन अपने ही मरीज को बचाने रक्तदान नहीं करते तो समाजसेवियों से रक्तदान की कैसी उम्मीद, रक्तदान के लिए खुद हो जागरूक व दूसरों को भी करें प्रेरित
ब्लड बैंक, अस्पताल व मरीज रक्तदाताओं की कमी से जूझ रहे हैं, अत्यधिक मरीजों की संख्या होने के साथ-साथ रक्त की आवश्यकता की भी उससे कई गुना अधिक होने से ब्लड की डिमांड होने के कारण चिकित्सकों को मरीजों का उपचार करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से मरीजों को समय में उपचार नहीं मिल पा रहा है, जिसके लिए डॉक्टरों व समाजसेवियों ने सभी से अधिक से अधिक संख्या में रक्त करने व करवाने के लिए प्रेरित करने की अपील की है।
अक्सर देखने में आया है की जब-जब उपचार के दौरान चिकित्सकों द्वारा मरीज को रक्त की कमी बताई जाती है और उसके बाद परिजनों को रक्त की कमी को पूरा करने के लिए ब्लड का इंतजाम करने के लिए कहा जाता है, तब-तब परिजन किसी दूसरे पर आश्रित होकर ब्लड का इंतजाम करने में जुट जाते हैं और स्वयं रक्तदान करने से कतराते हैं। ऐसी स्थिति में परिजन समाजसेवियों का सहारा लेकर रक्त का इतंजाम करते हैं।
ऐसे किया जा सकता है रक्तदान की कमी को पूरा :-
जानकारों ने बताया की अगर किसी मरीज को रक्त की कमी होती है तो इस दौरान मरीज के परिजनों को अपने रिश्तेदारों, दोस्तों व परिचितों से संपर्क करना चाहिए, इस प्रकार संपर्क कर परिजनों को आसानी से ब्लड मिल जाएगा और उनके मरीज का भी उपचार समय से हो सकेगा, लेकिन परिजन व अन्य ऐसा न करके सीधे रक्तदान के क्षेत्र में काम करने वाली समाजसेवी संस्थाओं को फोन करते हैं और स्वयं अपने रिश्तेदारों व परिचितों से संपर्क नहीं करते हैं। अगर परिजन अपने परिचितों व रिश्तेदारों से संपर्क कर उनसे रक्तदान करवाएंगे तो ब्लड बैंकों, अस्पतालों से ब्लड की कमी पूरी हो जाएगी।
परिजन जब अपने ही मरीज को नहीं देंगे बल्ड तो दूसरा क्यों करेगा रक्तदान:-
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने बताया की जब भी किसी भी मरीज को ब्लड की कमी होती है, तब सबसे पहले मरीज के परिजनों को स्वयं रक्तदान करने के लिए कहा जाता है, इस दौरान मरीज के परिजनों को अपने मरीज के लिए रक्तदान करने के लिए सतत रूप से प्रेरित करते हुए उनसे रक्तदान करवाया जाता है और इस दौरान यह भी बताया जाता है की जब मरीज के परिजन स्वयं अपने मरीज को ब्लड नहीं देंगे तो दूसरे व समाजसेवी भी आपकी मदद क्यों करेंगे।
परिजनों के कारण हो रही परेशानी:-
चिकित्सकों के अनुसार कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है की जब मरीज की गंभीर हालात होती है और इस हालत में परिजन स्वयं अपने मरीज के लिए रक्तदान नहीं करते हैं तो उपचार के दौरान परेशानी आ जाती है। जिससे समय पर ब्लड नहीं मिल पाता है और कई बार ब्लड के अभाव में मरीज की मृत्यु भी हो जाती है।
रक्तदान करने से होते हैं यह फायदे:-
:- ब्लड देने से पहले मिनी ब्लड टेस्ट होता है, जिसमें हीमोग्लोबिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर व वजन लिया जाता है, ब्लड डोनेट करने के बाद इसमें हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, सिफ लिस और मलेरिया आदि की जांच की जाती है। इन बीमारियों के लक्षण पाए जाने पर डोनर का ब्लड न लेकर उसे तुरंत सूचित किया जाता है।
:- ब्लड की कमी का एकमात्र कारण जागरूकता का अभाव है।
:- 18 साल से अधिक उम्र के स्त्री.पुरुष जिनका वजन 50 किलोग्राम या अधिक हो, ऐसे व्यक्ति वर्ष में तीन से चार बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
:- ब्लड डोनेट करने योग्य व्यक्तियों द्वारा रक्तदान करने से असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
:- ब्लड डोनेट करने से पहले व कुछ घंटे बाद तक धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।
:- ब्लड डोनेट करने वाले शख्स को रक्तदान के 24 से 48 घंटे पहले ड्रिंक नहीं करनी चाहिए।
:- रक्तदान के दौरान ब्लड से संबंधित सभी जांचे होती है, जिससे रक्तदाता की सभी जांच हो जाती है और रक्तदान करने के बाद रक्तदाता को खुशी मिलती है व पीडि़त मरीज को जीवनदान मिलता है।
परिजनों को खुद करना चाहिए रक्तदान:-
सिवनी ब्लड डोनर्स टीम के फाउंडर शुभम शर्मा ने बताया की मरीज के परिजनों को हमारे द्वारा सबसे पहले रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है, जब मरीज के परिजन रक्तदान करते हैं और इसके बाद पुन: ब्लड की आवश्यकता होती है तो समाजसेवियों की मदद ली जाती है। समाजसेवियों को रक्तदान के क्षेत्र में काम करने में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अत: मरीज के परिजनों को खुद रक्तदान करना चाहिए और अपने परिचितों से भी करवाना चाहिए।
समाजसेवी तो गरीब व बेहसहारों की करते हैं मदद:-
माँ वैनगंगा सेवा अभियान और नेकी की दीवार टीम सिवनी के सदस्य विपिनशर्मा ने बताया की थैलेसीमिया से पीडि़तों को हर माह दो से तीन बार ब्लड चढ़ता है, बीमारी से पीडि़तों की मदद करने के लिए हर वर्ग को आगे आना चाहिए और हर तीन माह में ब्लड दान करना चाहिए, रक्तदान बहुत ही नेक काम है। अगर समाजसेवी अन्य लोगों की मदद कर उन्हें ब्लड दिलवा देंगे तो ऐसे बच्चों का क्या होगा, जिनको तो हर माह दो से तीन यूनिट ब्लड लगना है, इसलिए सभी को रक्तदान करना और करवाना चाहिए।
रक्तदान करें और सभी से करवाएं:-
प्रभांश सोनी सिवनी ब्लड डोनर्स टीम मेम्बर ने बताया की रक्तदान करने से डरना नहीं चाहिए, व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ्य रहना है तो उसे नियमित रूप से हर तीन से चार माह में रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान सबसे बड़ा काम है, जिससे बीमारियों से बचा जा सकता है। रक्तदान के क्षेत्र में काम करना बहुत ही मुश्किल काम है, क्योंकि समाजसेवी रोजाना न जाने कितने लोगों से रक्तदान करवाते हुए कितनों की जिंदगी बचाते हैं और मरीज के परिजन जब स्वयं ब्लड न दे तो ऐसी स्थिति में स्थितियां और खराब हो जाती है। अत सभी से निवेदन है की वर्ष में तीन से चार बार रक्तदान करें और दूसरों से करवाते हुए पीडि़तों की मदद करें।
रक्तदान करने से बहुत ही खुशी मिलती है:-
सिवनी जिला चिकित्साय ब्लड बैंक प्रभारी डॉ हर्षवर्धन जैन ने बताया की रक्तदान से बड़ा कोई महान काम नहीं है, इसे करने से खुद को खुशी मिलने के साथ-साथ आप किसी दूसरे को जीवनदान देने वाले बनते हैं, स्वस्थ्य व्यक्ति वर्ष में 3 से 4 बार रक्तदान कर सकता है। आज जब भी किसी को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तो वह सीधे समाजसेवियों को फोन कर देते हैं, जबकि मरीज के परिजनों को स्वयं रक्तदान करना चाहिए और अपने परिचितों से भी रक्तदान करवाना चाहिए, तभी देश से हम रक्तदाताओं की संख्या को बढ़ा पाएंगे। रक्तदान करने से कोई बीमारी नहीं होती है, बल्कि नियमित रक्तदान करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ्य रहता है और उसे रक्तदान करने के बाद किसी के जीवन को बचाने का मौका मिलता है व बहुत खुशी मिलती है।