सिवनी: विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल एवं सकल हिंदू समाज के संयुक्त नेतृत्व में पहलगाम में हुए हिंदू नरसंहार के खिलाफ एक ऐतिहासिक मशाल रैली का आयोजन किया जा रहा है। यह रैली न सिर्फ सनातन समाज की आस्था और एकता का प्रतीक बनेगी, बल्कि यह एक चेतावनी भी है—उन ताकतों के लिए जो भारत की धार्मिक सहिष्णुता और सनातन संस्कृति को क्षति पहुंचाना चाहते हैं।
रैली का आयोजन स्थल और समय
दिनांक: 25 अप्रैल 2025
समय: शाम 6:30 बजे
एकत्रीकरण स्थल: शुक्रवारी चौक, सिवनी
यह मशाल रैली शुक्रवारी चौक से प्रारंभ होकर, गणेश चौक, बड़ा मिशन, होते हुए कचहरी चौक पर पुतला दहन के साथ संपन्न होगी। यह रैली न सिर्फ शहरवासियों के लिए एक प्रेरणा बनी, बल्कि देशभर के सनातनियों को एकजुट होने का आह्वान भी किया गया।
क्यों जरूरी थी यह मशाल रैली?
पहलगाम में हिंदुओं की निर्मम हत्या ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है। यह नरसंहार केवल निर्दोष लोगों की हत्या नहीं था, बल्कि यह सनातन संस्कृति पर हमला था। जब तक हम सड़क पर उतरकर अपनी एकता का परिचय नहीं देंगे, तब तक ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाएंगी।
इस रैली का उद्देश्य सिर्फ न्याय की मांग नहीं था, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चेतना का जागरण भी है। हर मशाल, हर नारा, हर पग—उस संकल्प का प्रतीक है जिसमें सनातनी समाज ने अपने भाइयों के बलिदान को व्यर्थ न जाने देने का प्रण लिया।
रैली में शामिल प्रमुख संगठन और वक्ता
इस रैली में विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, सकल हिंदू समाज, और स्थानीय धार्मिक संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।
जनता से अपील : सोशल मीडिया से सड़कों तक आएं
सभी सनातन अनुयायियों से विशेष अपील की गई कि देशभक्ति और संवेदना केवल फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की सीमित दुनिया में न दिखाएं। समय आ गया है जब हम सड़कों पर उतरकर, अपनी आस्था और एकता को सशक्त रूप से प्रदर्शित करें। इस रैली ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि—अब चुप रहना विकल्प नहीं है। हमें न्याय की मांग के लिए एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।
कचहरी चौक पर पुतला दहन : विरोध का प्रतीक
रैली के समापन पर कचहरी चौक में पुतला दहन किया जाएगा। यह पुतला पहलगाम नरसंहार के दोषियों और उनकी विचारधारा का प्रतीक होगा। पुतला दहन के समय नारों की गूंज, मशालों की लौ और लोगों की आंखों में दिखता आक्रोश—सब कुछ इस बात का संकेत रहेगा कि हिंदू समाज अब अन्याय को सहन नहीं करेगा।
सनातनियों से आग्रह : मौन नहीं, मुखर बनें
अगर हम इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ खुलेआम, सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करेंगे, तो भविष्य में हमारी अगली पीढ़ियां हमें दोष देंगी कि हमने उनके लिए सुरक्षित भारत नहीं छोड़ा। अब समय है—उठ खड़े होने का, एकजुट होने का और अपने धर्म, संस्कृति और अस्तित्व के लिए संघर्ष करने का। अगर आप चाहते हैं कि ऐसी रैलियों के पीछे का संदेश और दूर तक पहुंचे, तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें, समर्थन करें और स्वयं सड़क पर उतरें।