सिवनी में यातायात का हाल एकदम अराजक स्थिति में पहुँच चुका है लेकिन कोई भी विभाग इसे गंभीरता से लेता नहीं दिख रहा है जबकि यह जनता से सीधे – सीधे जुड़ा हुआ मामला है।
सिवनी में सबसे ज्यादा अराजकता यदि किसी ने मचाकर रखी है तो वे हैं बसों के संचालक जिन्होंने अपने वाहनों के चालकों को शायद ये निर्देश देकर रखे हुए हैं कि बस स्थानक से निकलते वक्त धीरे – धीरे गंतव्य की ओर रवाना होना है ताकि शहर के अन्य स्थानों से भी सवारियां बटोरी जा सकें।
बस संचालकों के इस खेल में ट्रेवल एजेन्सियां भी बराबर की साझेदार दिखती हैं जिनका कमीशन सवारियों पर ही बंधा होता है। बस स्थानक से निकलकर शहर की सड़कों पर रेंगने वाली ये बसें काफी लंबा जाम बनाते हुए आगे बढ़ती हैं। इन बसों के पीछे अन्य वाहनों के चालक हॉर्न बजाते ही रह जाते हैं लेकिन उन्हें आगे निकलने के लिये बस चालकों के द्वारा स्थान नहीं दिया जाता है। इसके चलते दिन में कई बार अप्रिय स्थितियां भी बनती दिखती हैं जिनमें बस चालकों और उस बस के पीछे चल रहे वाहन चालकों के बीच बहस भी शामिल है लेकिन उसके बाद भी बस चालकों के रवैये में कोई परिवर्तन आता नहीं दिखता है।
इन बसों के चालकों की मनमानी यहीं पर नहीं रूकती बल्कि ये बंद पड़े यातायात सिग्नल पर भी खड़े होकर सवारियां भरते या उतारते देखे जा सकते हैं और ऐसा गाँधी भवन के पास दिन और रात में कई-कई बार देखा जा सकता है। गांधी भवन क्षेत्र में लगे सिग्नल पर जब ये बसें सवारियां उतारतीं या भरतीं हैं उस वक्त चौराहे पर यातायात के सिपाही को भी तैनात देखा जा सकता है लेकिन वह भी इन बस चालकों के सामने बेबस ही नज़र आता है जिसके कारण कोई कार्यवाही इन बस चालकों के ऊपर नहीं हो पाती है बल्कि इससे उन्हें शह ही मिलती दिखती है।
वास्तव में देखा जाये तो शहर में यातायात का दबाव इतना अधिक बढ़ चुका है कि अब तो बसों के शहर में प्रवेश पर ही रोक लगाने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। पूर्व में इस विषय पर चर्चा भी जिला प्रशासन के द्वारा की गयी थी लेकिन पता नहीं क्यों बस स्थानक को अन्यत्र शिफ्ट किये जाने के मामले को ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया गया। वर्तमान समय में आवश्यकता होने के बाद भी बस स्थानक को शहर से बाहर ले जाने में प्रशासन को पसीना क्यों आ रहा है यह समझ से परे ही है।
इसके पीछे आखिर कौन सा व्यवहारिक कारण हो सकता है जब यदि मामला आम जनता के जीवन पर मण्डराते खतरे से जुड़ा हुआ हो। शहर के नागरिकों का कहना है कि आखिर, पूर्व में तो जिला चिकित्सालय को भी बारापत्थर में वर्तमान स्थान पर शिफ्ट किये जाने का विरोध हुआ था लेकिन उस समय लिया गया निर्णय आज एकदम सटीक ही प्रतीत होता है।
शहर वासियों का कहना है कि परिवहन विभाग के साथ ही साथ जब यातायात विभाग भी इन बस संचालकों की मनमानी लगाने में अपने आप को अक्षम पा रहा हो तो बेहतर है कि बस स्थानक को शहर से बाहर कहीं सुविधाजनक स्थल पर शिफ्ट करके बसों का शहर में प्रवेश करने से ही रोक दिया जाये।