खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप

By SHUBHAM SHARMA

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दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो .
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है .
शक्ति जीवन है , निर्बलता मृत्यु है . विस्तार जीवन है , संकुचन मृत्यु है . प्रेम जीवन है , द्वेष मृत्यु है .

एक समय में एक काम करो , और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ .
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते .
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो , तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो , तुम तत्व नहीं हो , ना ही शरीर हो , तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो.
ब्रह्माण्ड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमीं हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है!
जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं ,उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है.
एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा , और परमात्मा उसमे बसेंगे.
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है .
भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए , इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर .
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता , तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता .
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता , वो केवल त्रुटी जानता है . और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो , तुम पापी हो , एक तुच्छ प्राणी हो , और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये वो नहीं कर सकते .
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है .
किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं .
किसी चीज से डरो मत . तुम अद्भुत काम करोगे . यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है .
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना . स्वयं पर विश्वास करो .
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं . जब वो केन्द्रित होती हैं ; चमक उठती हैं .
आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं .
श्री रामकृष्ण कहा करते थे ,” जब तक मैं जीवित हूँ , तब तक मैं सीखता हूँ ”. वह व्यक्ति या वह समाज जिसके पास सीखने को कुछ नहीं है वह पहले से ही मौत के जबड़े में है

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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