सिवनी: छपारा नगर में शासन व आबकारी विभाग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं कानूनी प्रावधानों की अनदेखी कर नेशनल हाईवे के किनारे अवैध रूप से शराब दुकान अक स्थानान्तरण किया जाना है। इस पूरे मामले में यह स्पष्ट हो रहा है कि अनुज्ञप्तिधारक ने अपने राजनीतिक संबंधों का दुरुपयोग करते हुए, आबकारी विभाग के नियमों व सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को दरकिनार कर यह दुकान स्थानांतरित करवाई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश : नेशनल हाईवे से शराब दुकान की दूरी का नियम
सुप्रीम कोर्ट ने अपील क्रमांक 12164-12166/2016 में पारित आदेश के माध्यम से स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि:
- शहरी क्षेत्रों या 20000 से अधिक की आबादी वाले नगरों में शराब दुकान नेशनल हाईवे से न्यूनतम 500 मीटर की दूरी पर स्थित होनी चाहिए।
- वहीं, 20000 से कम आबादी वाले गाँवों के लिए यह दूरी 220 मीटर निर्धारित की गई है।
छपारा नगर परिषद की आबादी 20000 से अधिक है, जिससे स्पष्ट है कि यहाँ शराब दुकान 500 मीटर की दूरी पर ही संचालित की जा सकती है। लेकिन, तथ्यों के आधार पर यह सामने आया है कि छपारा में चयनित शराब दुकान को सिर्फ 70-80 मीटर की दूरी पर नेशनल हाईवे के समीप स्थापित किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
आबकारी विभाग की भूमिका पर उठते सवाल
इस पूरे प्रकरण में यह भी सामने आया है कि आबकारी विभाग, लखनादौन एवं सिवनी के अधिकारियों ने अनुज्ञप्तिधारक के दबाव में आकर नियमों की अनदेखी की। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुज्ञप्तिधारक के पीछे प्रभावशाली राजनीतिक दल का समर्थन है, जिसके कारण अधिकारियों द्वारा शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
शिकायतकर्ता द्वारा कलेक्टर कार्यालय, आबकारी विभाग एवं सीएम हेल्पलाइन में बार-बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद शिकायतों को निराधार बताते हुए निरस्त कर दिया गया। यह स्थिति दर्शाती है कि शासन एवं प्रशासन ने नियमों के पालन की जिम्मेदारी से मुँह मोड़ लिया है।
नगर परिषद छपारा के मुख्य द्वार के समीप शराब दुकान : सामाजिक ताने-बाने पर प्रहार
जिस स्थान पर शराब दुकान संचालित की जानी है, वह छपारा नगर परिषद के मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक पास स्थित है। यह स्थान:
- शैक्षणिक संस्थानों
- धार्मिक स्थलों
- आवासीय कॉलोनियों
- बाजार क्षेत्र
के बेहद नजदीक है, जिससे सामाजिक वातावरण एवं कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की पूरी संभावना है।
स्थानीय जनता की मांग : शराब दुकान स्थानांतरण पर रोक लगाई जाए
स्थानीय निवासियों, सामाजिक संगठनों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा इस अवैध शराब दुकान के विरोध में आवाज उठाई जा रही है। जनता का स्पष्ट कहना है कि यदि शासन और प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से इस नियम विरुद्ध दुकान पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो वे उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेंगे।
कलेक्टर कार्यालय एवं प्रशासन की उदासीनता
शिकायतकर्ता ने अपने सभी दस्तावेज एवं प्रमाणों के साथ:
- कलेक्टर कार्यालय
- आबकारी विभाग
- सीएम हेल्पलाइन
में लिखित शिकायत प्रस्तुत की। लेकिन, प्रशासन ने बिना गंभीरता से विचार किए, शिकायत को निराधार बताते हुए उसे खारिज कर दिया। यह कृत्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ और न्यायिक आदेशों की अनदेखी है।
न्यायालयीन प्रक्रिया में जाने की चेतावनी
शिकायतकर्ता द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यदि इस मामले में शीघ्र न्यायसंगत निराकरण नहीं किया गया, तो वे:
- मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय
- सुप्रीम कोर्ट
की शरण लेंगे और सभी संबंधित दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर रिट याचिका दायर करेंगे। साथ ही, प्रशासनिक अधिकारियों एवं आबकारी विभाग के कर्मचारियों के विरुद्ध मानहानि व न्यायिक अवमानना की कार्यवाही भी की जाएगी।
नेशनल हाईवे पर शराब दुकान से उत्पन्न संभावित समस्याएँ
नेशनल हाईवे के निकट शराब दुकान संचालित होने से क्षेत्र में निम्न समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
- यातायात दुर्घटनाओं में वृद्धि – शराब की आसान उपलब्धता से वाहन चालकों द्वारा शराब सेवन कर वाहन चलाने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।
- सामाजिक अशांति – स्कूल, मंदिर, बाजार क्षेत्र के निकट शराब दुकान से महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा को खतरा।
- कानून व्यवस्था प्रभावित – शराब सेवन के पश्चात झगड़े, हिंसा एवं अपराध की घटनाएँ बढ़ेंगी।
- स्थानीय जनता में असंतोष – नियमों की अवहेलना से जनता का प्रशासन से विश्वास उठेगा।
नियम विरुद्ध शराब दुकान पर शीघ्र रोक आवश्यक
यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद नेशनल हाईवे से 70-80 मीटर दूरी पर शराब दुकान खोलने की अनुमति दे रहे हैं। यह कार्य न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि जनता के अधिकारों व सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा भी है।
हम शासन-प्रशासन से माँग करते हैं कि:
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप तुरंत कार्यवाही की जाए।
- शराब दुकान को नियमानुसार 500 मीटर दूरी पर स्थानांतरित किया जाए।
- दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
- स्थानीय जनता की शिकायत पर गंभीरता से विचार कर निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
यदि शासन द्वारा शीघ्र उचित निर्णय नहीं लिया गया, तो इस विषय को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।