श्री मद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सम्पन्न: देवी माता मंदिर धारनाकला में सप्त दिवसीय कथा का समापन

SEONI NEWS: श्री मद भागवत महापुराण ञान यञ सम्पन्न

SHUBHAM SHARMA
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श्री मद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सम्पन्न: देवी माता मंदिर धारनाकला में सप्त दिवसीय कथा का समापन

सिवनी: सिवनी जिले के बरघाट में अन्तिम दिवस की कथा मे कथा वाचक बृजेस्वरी देवी ने सुदाम देव की कथा का वर्णन करते हुऐ कहा की सुदामा बाल्यकाल से ही गुरूकुल की शिक्षा ग्रहण के समय से भगवान के परम सखा के रूप मे रहे है तथा सखा के साथ साथ भगवान के परम भक्त रहे है सुदामा शास्त्र के अनुसार अयोचित ब्राम्हण के रूप मे जाने जाते थे.

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सुदामा जी जिन्हे चार वेद तथा छै शास्त्र का ञान उनके कंठस्थ मे समाया हुआ था सुदामा जी सिर्फ अपनी लगन मे ही मस्त रहते थे और हमेशा भगवान की भक्ति मे ही तल्लीन रहते थे सुदामा जी गरीब जरूर थे किन्तु स्वाभिमानी थे जो अपनी आवश्यकता के अनुसार ही पांच घर की भिक्षा स्वीकार कर अपना जीवन व्यापन करते थे किन्तु चारो पहर भगवान नाम के स्मरण मे ही मस्त रहते थे.

चार वेद तथा छै शास्त्र का ञान होते हुऐ भी सुदामा जी ने कभी भी इस ञान का उपयोग धन अर्जित करने के लिये नही किया वे घर पर ही भगवान की कथा मे मस्त रहा करते थे सुदामा जी की पत्नि सुशीला जैसा नाम था वैसे ही सुशील थी तथा पतिव्रत धर्म के पालन मे हमेशा अपने पति सुदामा के धर्म तथा कर्म का हिस्सा बनी रहती थी धन्य है सुशीला जैसा नाम वैसा ही सुशीला का जीवन के प्रति आचरण भी था जो अपने पति सुदामा के साथ दुख और सुख मे भी भूखे रहकर पतिव्रत धर्म मे अडिग रहा करती थी सुदामा जी घर पर ही अपनी पत्नि सुशीला को भगवान की कथा का रसपान कराया करते थे

नारी शक्ति ही जीवन सुधारने के लिये करती है प्रेरित

अन्तिम दिवस की कथा मे कथा वाचक बृजे स्वरी देवी ने कहा की हमेशा पत्नि सुशीला को सुदामा जी भगवान की कथा का रसपान कराते थे किन्तु अपने पति सुदामा को भगवान से मिलने के सुशीला ने प्रेरित किया तथा कहा की भगवान कृष्ण जरूर आपके मित्र है किन्तु मित्र से पहले वे जगत के परम पिता भी है क्या आपको उनके दर्शन के लिये नही जाना चाहिये तब सुदामा जी का अभिमान का छय हुआ है तथा सुदामा जी ने अपने मित्र तथा भगवान से मिलने का निश्चय किया है तथा पत्नि सुशीला ने भगवान से मिलन के लिये तैयार सुदामा जी के पांच घर जाकर भिक्षा प्राप्त करते हुऐ भगवान की भेट के रूप मे चिवडा कपडे मे बांधकर रखा है.

कथा मे कथा वाचक ने यह भी बताया की सुदामा जी तथा पत्नि सुशीला तथा बालक भी अनेको दिन जल पीकर ही जीवन व्यापन करते थे किन्तु भगवान की भेट के रूप मे मांगी गई भिक्षा भिक्षा के रूप मे सुशीला ने अपनी ममता का भी त्याग किया है चूकि मा स्वयं भूखी रह सकती है किन्तु अपने बालक को भूखी नही रखती धन्य है सुशीला जिसने अपनी ममता का भी त्याग भगवान के लिये किया है.

बदल दी भाग्य की रेखा

कथा के सार मे कथा वाचक ने यह भी बताया की भगवान से सुदामा का मिलन होते ही भगवान ने सुदामा के मस्तिष्क मे लिखी रेखा का छय भी किया है चूकि पूर्व जन्म के श्राप के कारण सुदामा जी भगवान के भक्त तथा ञानवान तो थे किन्तु लक्ष्मी से हीन भी थे और इसी कारण दरिद्र ब्राम्हण के रूप मे अपना जीवन व्यापन करते थे.

अपनी भाभी सुदामा जी पत्नि सुशीला के द्वारा भेजी गई भेट का निवाला ग्रहण करते ही भगवान ने सुदामा पुरी तथा द्वारका पुरी को एक कर दिया कहने का तात्पर्य जैसी द्वारका नगरी थी उसी तरह सुदामा नगरी भी परिवर्तित हो गई इस तरह भगवान ने सुदामा जी उद्धार करते हुऐ यह भी परिचय दिया की भगवान अपने भक्त के लिये सबकुछ करते है सिर्फ भक्त मे भगवान के प्रति सच्ची लगन तथा भक्ति का वास हो

कथा के अन्तिम दिन हुआ रूद्राक्ष का वितरण

यहा यह बताना भी लाजिमी है की है श्री मद भागवत महापुराण ञान यञ के साथ साथ कथा प्रांगण मे प्रति दिन भगवान शिव जी पूजा के साथ शिव अभिषेक भी सम्पन्न हुआ है एवं मार्तं शक्ति के द्वारा विधिवत रूप से भगवान शिव का अभिषेक बडी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया है इस लिये कथा श्रवण करने वाले भक्तो को रूद्राक्ष का वितरण भी व्यास पीठ से किया गया तथा कथा वाचक के द्वारा सप्त दिवसीय कथा का सार बताते हुऐ कहा गया की श्री मद भागवत ऐसा फल है जिसमे न गुठली है न छिलका है इसमे सिर्फ रस ही रस है जिसका सिर्फ रसपान किया जाता है

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Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
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