Seoni News: (एस. के. शुक्ला, बरघाट) बरघाट विकासखंड समेत पूरे जिले में फर्जी पत्रकारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये स्वयंभू पत्रकार ग्राम पंचायतों, सरकारी दफ्तरों और आम जनता के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। ये कभी क्राइम रिपोर्टर तो कभी जिला ब्यूरो चीफ बनकर अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों को धमकाते हैं। फर्जी विज्ञापन बिलों के माध्यम से हजारों रुपये की उगाही करते हैं और जब कोई इनका विरोध करता है तो सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर ब्लैकमेलिंग शुरू कर देते हैं।
फर्जी पत्रकारों के आतंक का पर्याय: राकेश अग्रवाल
ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें राकेश अग्रवाल नामक तथाकथित पत्रकार को सरपंच की शिकायत पर जेल की हवा खानी पड़ी थी। बावजूद इसके, वह अब भी अतिक्रमण की आड़ में अशांति फैलाने और न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने में लगा हुआ है। जिले में ऐसे कई समाचार पत्र हैं, जिन्हें कोई पढ़ता तक नहीं, लेकिन उनके नाम पर अनेकों लोग ब्यूरो चीफ बनकर अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों को ही सौंपे जा रहे ज्ञापन
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे हटाने की शिकायतों के बावजूद प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
संयुक्त दल द्वारा किए गए सीमांकन को झूठा साबित करने की कोशिश
जिला कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार बरघाट और एमपीआरडी की संयुक्त टीम ने धारनाकला स्थित कैलामाता मंदिर चौक से लेकर जनपद की भूमि का सीमांकन किया। इस प्रक्रिया में अवैध कब्जे चिन्हित कर लाल निशान लगाए गए और अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस भी भेजे गए। लेकिन, भूमाफिया प्रशासन को भ्रमित कर असली दोषियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
शासकीय भूमि पर भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि
सिवनी-बालाघाट मुख्य मार्ग से सटी कीमती शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता के चलते अवैध दुकानों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। प्रशासन कार्रवाई के डर से पीछे हटता है, जबकि भूमाफिया फर्जी पत्रकारों की आड़ लेकर जनता में अशांति फैला रहे हैं।
अवैध कब्जों के कारण दुर्घटनाओं में वृद्धि
सिवनी-बालाघाट रोड पर अवैध कब्जों और अतिक्रमण के कारण कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जनता ने सत्याग्रह और विरोध प्रदर्शन भी किए, लेकिन प्रशासन अब तक ठोस कार्रवाई नहीं कर सका। सवाल उठता है कि क्या फर्जी पत्रकारों और भूमाफियाओं का गठजोड़ प्रशासन से भी ताकतवर हो चुका है?
प्रशासन कब लेगा सख्त निर्णय?
इस स्थिति में संवेदनशील जिला कलेक्टर और जिला जन संपर्क कार्यालय को कठोर कदम उठाने होंगे। फर्जी पत्रकारों और ब्लैकमेलिंग करने वाले तथाकथित मीडिया कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। जब तक प्रशासन निष्क्रिय रहेगा, असली पत्रकारिता और समाज दोनों ही संकट में रहेंगे।