धारनाकला (एस. शुक्ला): वर्तमान समय में जैसी शिक्षा व्यवस्था हमारे जिले में चल रही है, वह बहुत हद तक संतोषजनक नहीं है। भारत की शिक्षा व्यवस्था में बहुत हद तक बदलाव दिखे हैं, परंतु कमियां भी उससे बहुत अधिक दिखाई देती हैं।
किसी भी देश के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, हमारे देश के विकास में भी शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। शिक्षा ही देश का वह हथियार है जिससे देश का विकास संभव है, और वर्तमान में जैसी शिक्षा और व्यवस्था चल रही है, उससे सरकार को कुछ बदलाव लाने की जरूरत है।
अगर वर्तमान में चल रही व्यवस्था पर नजर डालें, तो गांव के स्कूलों में बच्चों को सुविधाएं बहुत हद तक नहीं मिल पातीं। सरकार की ओर से स्कूल तो मुहैया हो जाते हैं, किन्तु उन स्कूलों की व्यवस्था की ओर न ही सरकार ध्यान देती है, और न ही हमारे जनप्रतिनिधि, सांसद तथा विधायक। यही कारण है अच्छा-खासा परीक्षा परिणाम देने के बाद ग्रामीण अंचल के विद्यालयों में स्कूली बच्चों के शिक्षाध्ययन के लिए व्यवस्थाएं नहीं हैं। बैठक व्यवस्था का सबसे बड़ा अभाव है।
बैठक व्यवस्था का सबसे बड़ा अभाव
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय धारनाकला में नवमी से लेकर बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या की बात करें, तो इस विद्यालय में वर्तमान में लगभग एक हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, और 65 प्रतिशत दर्ज संख्या लड़कियां हैं। किन्तु बैठक व्यवस्था के अभाव के चलते एक ही समय में नवमी और दसवीं के छात्र-छात्राएं को बैठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में शिक्षा का स्तर कैसे ऊँचा उठ सकता है, कल्पना की जा सकती है, जबकि छात्र-छात्राओं की दर्ज संख्या जुलाई के अंत तक और बढ़ सकती है। जबकि बैठक व्यवस्था को देखते हुए प्राचार्य द्वारा विभागीय तौर पर इस समस्या से अनेक बार अवगत कराया गया है, किन्तु इस ओर ध्यान देने में संबंधित और हमारे जनप्रतिनिधि, सांसद तथा नेताओं के कानों में भी अब तक जूँ नहीं रेंगी है।
पेयजल व्यवस्था का अभाव
पेयजल व्यवस्था का अभाव भी यहां उल्लेखनीय है। विद्यालय में लगभग हजार बच्चे अध्ययनरत हैं, किन्तु बच्चों और स्कूली शिक्षकों के लिए पेयजल की तक पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में स्कूली बच्चे स्कूल से बाहर आकर जलपान करते देखे जा सकते हैं। हालांकि पेयजल व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए धारनाकला सरपंच रंजीता बोपचे और जनपद सदस्य गजानंद हरिनखेड़े द्वारा पेयजल व्यवस्था बनते तक स्कूल में पानी टेकर उपलब्ध कराने की बात कही गई है, तथा बहुत जल्द पेयजल व्यवस्था बनाने का भी आश्वासन दिया गया है।
विधायक तथा सांसद का क्यों नहीं जाता ध्यान
यह भी उल्लेखनीय है। जनता द्वारा चुने गए हमारे विधायक तथा सांसद को विधायक तथा सांसद निधि के तौर पर सरकार से प्रति वर्ष लाखों रुपये की राशि छेत्र के विकास तथा समस्या-मूलक कार्यों के लिए प्राप्त होती है। किन्तु आज तक सांसद और विधायक द्वारा स्कूलों और विद्यालयों से जुड़ी समस्याओं की ओर आज तक ध्यान नहीं दिया गया है।
जबकि इनके द्वारा प्रदत्त राशि से अनेक भवन ग्राम पंचायत में बन चुके हैं तथा अन्य कार्यों में भी विधायक निधि की राशि का भरपूर उपयोग हुआ है, किन्तु आज तक हमारे नेताओं के द्वारा देश के भविष्य से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा गया, और न ही आज तक शिक्षा के मंदिर पर इन्होंने ध्यान देना उचित समझा।
जबकि बच्चों की नींव मजबूत रहने पर वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस, वैज्ञानिक तथा विभिन्न छेत्रों में उम्दा प्रदर्शन कर सकते हैं। ऐसे में हमारे छेत्रीय जननेताओं को चाहिए कि वे वोट बैंक की राजनीति से भी हटकर ध्यान दें, ताकि गरीब बच्चे जो प्राइवेट स्कूलों की महंगी शिक्षा ग्रहण नही कर पाते वे गरीब बच्चे शासकीय स्कूलो मे भी शिक्षा का परचम लहरा सके।
तथा गावो के बच्चो को भी वह अवसर प्राप्त हो जो शहरो के बच्चो को मिलते है तभी शहरी बच्चो की तरह गांवो के स्कूली बच्चे भी सफल हो पायेगे तथा वह भी अपने सपनो को साकार कर पायेगे