सिवनी: जनपद सभा सिवनी के नाम पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज जमीन का शायद कोई धनीधोरी समझ नहीं आ रहा है और यही कारण है कि सिवनी बालाघाट रोड से लगी इस कीमती जमीन पर आज भूमाफियों ने अपना मकड़जाल फैलाकर रखा है।
साथ ही इस शासकीय जमीन के कीमती हिस्से के निजी तौर पर संशोधन मामले में भी प्रशासन द्वारा अब तक ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और यही कारण है कि जनपद सभा सिवनी के नाम से दर्ज भूमि में चारों तरफ अवैध अतिक्रमण के साथ-साथ गंदगी का अम्बार लगा है।
वहीं दूसरी तरफ बरघाट जनपद छेत्र के धारनाकला में जमीन के स्थित होने के कारण इस जमीन पर फैले अतिक्रमण तथा जमीन संशोधन मामले में जमीन सिवनी जनपद के नाम से होने के कारण जवाबदार ठोस कार्रवाई से दूरी बनी हुई है। इसी स्थिति में इतनी कीमती शासकीय जमीन अवैध कब्जों में तब्दील होकर रह गई है।
गलत तरीके से कैसे हो गई जमीन निजी तौर पर संसोधित? उल्लेखनीय है कि जनपद सिवनी के नाम से दर्ज भूमि का वैसे तो राजस्व रिकार्ड में रकबा लगभग पौने दो एकड़ है, किन्तु इस जमीन का कीमती हिस्सा जो कि सिवनी बालाघाट मेन रोड से लगा हुआ है तथा मेन बस स्टैंड में स्थित है, का संशोधन निजी तौर पर कैसे संसोधित हो गया, जांच का विषय है।
वहीं दूसरी तरफ जनपद सभा सिवनी के द्वारा भी इस कीमती जमीन को निजी रूप में संशोधन को लेकर यही कहा जा रहा है कि जमीन संशोधन मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और इस मामले में जनपद सभा सिवनी के द्वारा भी बरघाट एस डी एम तथा तहसीलदार के साथ साथ जिला कलेक्टर को आवेदन कर जांच की मांग की गई है, तथा शिकायत कर्ता आवेदक के द्वारा शासकीय जमीन वापस जनपद सभा सिवनी के नाम पर दर्ज करने का अनुरोध जिला कलेक्टर से किया गया है।
कैसे बिक गई शासकीय जमीन?
यहां भी उल्लेखनीय है कि जनपद सभा सिवनी की कीमती जमीन संशोधन होने के पश्चात महंगे दर पर बिक्री भी हो गई और संसोधित जमीन पर आलीशान भवन तथा दुकानें निर्मित हो गईं।
इसके साथ ही शेष बची जमीन पर अवैधानिक रूप से कब्जा करते हुए मेन रोड के किनारे तक अतिक्रमण का मकड़जाल फैलाया गया है, जिससे आये दिन दुर्घटनाएँ भी घटित हो रही हैं। इसके बाद भी सबकुछ देखते हुए भी प्रशासनिक कार्रवाई पैसों की खनक और दबाव के कारण नगण्य होकर रह गई है और जांच तक सीमित हो गई है।
संसोधित जमीन पर होना था सुगम काम्प्लेक्स का निर्माण। उल्लेखनीय है कि जो शासकीय जमीन बन्दोबस्त अधिकारी की कलम से निजी कर दी गई है, उपरोक्त जमीन पर सुगम काम्प्लेक्स का निर्माण होना था।
और इस संबंध में अनेक बार रूपरेखा और प्लान तैयार बरघाट जनपद के द्वारा बनाए गए, किन्तु आज तक स्वार्थ की रोटी सेकते हुए जवाबदारों द्वारा समय-समय पर कोई भी धन उगाही के अलावा कुछ नहीं किया गया है।
और यही कारण है कि ग्रामीणों का सुगम काम्प्लेक्स का निर्माण सिर्फ सपना बनकर रह गया है और यह करोड़ों रुपये मूल्य की शासकीय जमीन प्रशासनिक ढील के कारण अवैध कब्जों में तब्दील होकर रह गई है।
शासकीय जमीन के निजी मामले में हो ठोस कार्रवाई
शासकीय जमीन के निजी करने के अनेक मामले सामने आने के बाद इस पर सख्त कदम उठाए गए हैं और देखा गया है कि किसी जमीन के विवाद पर रिकार्ड संशोधन के नाम पर जमकर खेल चल रहा है और शासकीय सर्वे नम्बर को निजी घोषित कर राजस्व रिकार्ड में शासकीय जमीन को निजी कर दिया गया है।
और कुछ इसी तरह के मामले बरघाट जनपद के धारनाकला के हैं, जहाँ शासकीय जो कि जनपद सभा सिवनी के नाम पर राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, को निजी गलत तरीके से कर दिया गया है, जिसकी शिकायत भी जिला कलेक्टर सिवनी को होने के बाद जांच के आदेश हुए हैं।
जिसमें तहसीलदार बरघाट के निर्देश पर जमीन संशोधन की जांच प्रारंभ हुई है और पटवारी द्वारा जांच भी की गई है। वहीं धारनाकला के ग्रामीणों की मांग है कि गलत तरीके से जमीन संसोधित की गई है और उपरोक्त जमीन शासकीय रकबे में दर्ज होने के साथ ही शासकीय जमीन पर सुगम कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना चाहिए ताकि ग्राम के बेरोजगार युवकों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके और शासकीय जमीन को अपनी जागीर समझ कब्जा करने वाले भूमाफियों पर भी ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। और जिस तरह जिले में शासकीय जमीन पर प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है, उसी तरह बेरोजगार युवकों के भविष्य को देखते हुए रोजगार के साधन के रूप में सुगम कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना चाहिए।