सिवनी/बरघाट/धारनाकला – रिपोर्ट: एस. शुक्ला: सिवनी जिले के धारनाकला का शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय इन दिनों बदहाली की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। सरकार एक ओर शासकीय स्कूलों में “उत्तम शिक्षा” देने के दावे करती है, जबकि दूसरी ओर इस विद्यालय की जर्जर स्थिति इन दावों की हकीकत को सामने ला रही है। बैठक व्यवस्था टूटी, कक्षाएँ बरामदे में, और छात्रों को पीने का पानी तक नसीब नहीं… आखिर जिम्मेदार कब जागेंगे?
बरामदे में लग रही क्लास, छात्र फर्श पर बैठने को मजबूर
विद्यालय की सबसे बड़ी विकराल समस्या है—कक्षाओं की कमी और बैठने की दयनीय व्यवस्था। स्थिति इतनी खराब है कि सैकड़ों छात्र-छात्राओं की कक्षाएँ बरामदे में लग रही हैं, वह भी फर्श पर दरी बिछाकर।
प्राचार्य और स्टाफ कई बार जनप्रतिनिधियों व विभागीय अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
यह उपेक्षा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है।
865 छात्र-छात्राएँ शिक्षा ग्रहण कर रहे, पर हालात बेहाल
विद्यालय में कुल 865 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, लेकिन इनके लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए, वह कहीं दिखाई नहीं देती।
- नवमी से बारहवीं तक के बच्चों को क्लासरूम में जगह नहीं
- हाल में लगी बेंचों पर चार-चार छात्र ठूंसे जा रहे
- बाकी विद्यार्थियों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा
ऐसी स्थिति में “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” सिर्फ एक सरकारी नारा बनकर रह गया है।
पेयजल समस्या ने बढ़ाई परेशानी, धँसे बोर से पानी की आस खत्म
विद्यालय में लंबे समय से पेयजल संकट बना हुआ है।
स्टाफ के अनुसार—
“जब से विद्यालय के पास स्थित बोर धँस गया है, तब से छात्रों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।”
पहले इसी बोर से पानी की सप्लाई होती थी, परंतु अब विद्यालय को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।
समस्या की जानकारी जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों को दी जा चुकी है, लेकिन अब भी समाधान का इंतज़ार जारी है।
जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता पर उठ रहे सवाल
जहाँ सांसद और विधायक निधि से गाँवों में सड़कें व पुलिया निर्माण हो रहे हैं, वहीं शिक्षा से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण संस्थान—विद्यालय—उपेक्षित पड़े हैं।
जनता का सवाल वाजिब है:
➡️ जब भविष्य इन्हीं विद्यालयों में गढ़ा जाता है, तो जनप्रतिनिधि अपनी निधि का उपयोग यहाँ क्यों नहीं करते?
➡️ स्कूलों की समस्याओं को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती?
क्या जिले के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि अब जागेंगे?
धारनाकला विद्यालय की हालत किसी भी आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के लिए शर्मनाक तस्वीर पेश करती है। यदि समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो इसका विपरीत प्रभाव सीधे बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर पड़ेगा।
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