Seoni News: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में नेशनल हाईवे 44 (National Highway 44) पर स्थित एशिया के प्रसिद्ध साउंडप्रूफ पुल (India’s First Light & Sound Proof Highway) का एक हिस्सा भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है।
यह पुल देश के सबसे महत्वपूर्ण हाईवे नेटवर्क का हिस्सा है, जो उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। पुल के कई हिस्सों में दरारें आ गई हैं, जिससे संरचना कमजोर हो गई है। मरम्मत कार्य के चलते सड़क के एक तरफ का हिस्सा बंद कर दिया गया है, जिससे यातायात में भी बाधा आ रही है।
960 करोड़ रुपये की लागत से बना था पुल
यह साउंडप्रूफ पुल खवासा-मोहगांव खंड पर बना हुआ है, जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह 29 किलोमीटर लंबा पुल एक निजी कंपनी द्वारा 960 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। निर्माण के दौरान कंपनी ने इसकी गुणवत्ता की गारंटी कम से कम 10 वर्षों तक दी थी, लेकिन भारी बारिश और जलभराव के कारण इसमें गंभीर नुकसान देखने को मिला है।
पेंच टाइगर रिजर्व के पास साउंड और लाइट प्रूफ हाईवे की विशेषता
इस पुल को विशेष रूप से पेंच टाइगर रिजर्व के पास वन्यजीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। पुल का ध्वनिरोधी डिज़ाइन यह सुनिश्चित करता है कि पुल से गुजरने वाले वाहनों की आवाज नीचे जंगल तक न पहुंचे, जिससे वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक वातावरण में कोई परेशानी न हो। इसके अलावा, जानवरों के लिए 14 पशु अंडरपास और लाइट रिड्यूसर भी लगाए गए थे, ताकि उनका आवागमन सुरक्षित और बाधारहित हो सके।
एनएच 44: भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) भारत का सबसे लंबा राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई 4,112 किलोमीटर है। यह राजमार्ग उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला है। इस हाईवे के माध्यम से भारत के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों को जोड़ने का काम किया जाता है। सिवनी और नागपुर के बीच स्थित इस पुल का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग है।
भारी बारिश के कारण पुल की क्षति
यह पुल भारी बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। वर्षा के पानी के जमाव और संरचना की कमजोरी के कारण पुल में दरारें आ गई हैं। निर्माण के केवल पांच वर्षों के भीतर ही यह पुल गंभीर क्षति का शिकार हो गया, जो निर्माण गुणवत्ता और रखरखाव की प्रणाली पर सवाल खड़े करता है। इसके कारण संबंधित विभाग और एजेंसियां मरम्मत कार्य को तेज़ी से कर रही हैं, ताकि जल्द से जल्द यातायात को सुचारू किया जा सके।
मरम्मत कार्य और NHAI की प्रतिक्रिया
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस पुल की मरम्मत के कार्य को प्राथमिकता दी है। अधिकारियों का कहना है कि पुल के टूटे हुए पैनलों को बदला जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की क्षति न हो। इसके साथ ही नियमित रखरखाव के माध्यम से पुल की स्थिति पर नज़र रखी जा रही है, ताकि इसकी संरचना की मजबूती बनी रहे।
पुल के निर्माण में इस्तेमाल की गई तकनीक और चुनौतियाँ
इस पुल के निर्माण में आधुनिक ध्वनिरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जो एशिया के कुछ चुनिंदा पुलों में से एक है। इस तकनीक के माध्यम से पुल के ऊपर से गुजरने वाले वाहनों का शोर नीचे तक नहीं पहुंचता, जिससे आसपास के वन्यजीवों को कोई दिक्कत नहीं होती। हालांकि, बारिश और अन्य प्राकृतिक कारणों के चलते इस तकनीक के टिकाऊपन पर सवाल उठे हैं, और इसके रखरखाव में भी कई चुनौतियाँ सामने आई हैं।
नेशनल हाईवे 44 का राष्ट्रीय महत्व
एनएच 44 केवल एक राजमार्ग नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक धारा का हिस्सा है। यह NH-1A, NH-1, NH-2, NH-3, NH-75, NH-26 और NH-7 जैसे सात प्रमुख राजमार्गों को आपस में जोड़ता है। यह न केवल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ता है, बल्कि इससे सटे राज्यों के बीच भी व्यापार और यातायात का मुख्य साधन है।
भविष्य में पुल की स्थिति और समाधान
भविष्य में इस पुल की स्थिति को लेकर अभी भी कई सवाल बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पुल की मरम्मत और रखरखाव का कार्य नियमित रूप से किया जाए, तो इसे भविष्य में और भी मजबूत और टिकाऊ बनाया जा सकता है। इसके लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है, ताकि इस पुल की गुणवत्ता और मजबूती को बनाए रखा जा सके।