सिवनी, 22 जुलाई — आगामी गणेश उत्सव को लेकर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सिवनी ने सभी मूर्तिकारों और गणेश उत्सव समितियों से एक महत्वपूर्ण अपील जारी की है। संगठन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भगवान गणेश की मूर्तियों को पौराणिक शास्त्रों में वर्णित स्वरूप में ही तैयार किया जाए। किसी भी प्रकार की अशास्त्रीय या विकृत मूर्ति को न तो बनाया जाए और न ही स्थापित किया जाए।
विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल सिवनी के जिला अध्यक्ष अखिलेश सिंह चौहान, जिला संयोजक माधव दुबे, और विभाग संयोजक देवेंद्र सेन ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि—
“कुछ वर्षों से देखा जा रहा है कि आधुनिकता और आकर्षण के नाम पर भगवान गणेश के विग्रहों के स्वरूप के साथ भद्दे और अमर्यादित प्रयोग किए जा रहे हैं, जो हमारी धार्मिक भावनाओं और संस्कृति के विरुद्ध हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि—
“यदि किसी भी मूर्तिकार द्वारा गणेश जी की मूर्ति को विकृत रूप में बनाया गया पाया गया, तो संगठन के कार्यकर्ता स्वयं कार्यवाही करेंगे और संबंधित मूर्तिकार के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।”
उत्सव समितियों से भी की गई अपील
संगठन ने सभी गणेश उत्सव समितियों से भी आग्रह किया है कि वे केवल शास्त्र सम्मत एवं पारंपरिक रूप में ही भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण कराएं। आयोजन में धार्मिक मर्यादा और गरिमा बनाए रखना सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं
बजरंग दल का कहना है कि देवी-देवताओं के स्वरूपों को विकृत करना न केवल धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह हिंदू समाज के गौरव और मूल्यों को भी ठेस पहुंचाने वाला कार्य है।
“हमें सजग रहकर ऐसी प्रवृत्तियों का विरोध करना होगा और अपने सनातन धर्म की मर्यादा बनाए रखनी होगी,” – संगठन नेताओं का कहना है।
मूर्तिकारों को दिया गया स्पष्ट संदेश
इस अपील के माध्यम से सभी मूर्तिकार बंधुओं को स्पष्ट रूप से सूचित किया गया है कि वे किसी भी प्रकार का नवाचार या प्रयोग करने से पहले धार्मिक मूल्यों और परंपराओं का ध्यान रखें।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सिवनी का यह कदम उन प्रयासों का हिस्सा है जो समाज में धार्मिक अनुशासन और परंपरा की रक्षा के लिए उठाए जाते हैं। यह एक साफ संदेश है कि हमारी संस्कृति के प्रतीकों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आपकी क्या राय है? क्या देवी-देवताओं के स्वरूपों में आधुनिकता की छाया पड़नी चाहिए?
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