सिवनी: वर्तमान में मौसम की स्थिति अत्यंत गंभीर हो चुकी है। मध्यप्रदेश के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है, जिससे स्कूली बच्चों की सेहत पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अभिभावकों का यह अनुरोध बिल्कुल तर्कसंगत है कि जिला कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी बच्चों के हित में स्कूलों की छुट्टियों को 30 जून तक बढ़ाने पर विचार करें।
सूरज की तपिश और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
गर्मी के मौसम में विशेष रूप से मई और जून के महीने, बच्चों के लिए अत्यधिक जोखिमभरे होते हैं। हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, थकावट, त्वचा संबंधी बीमारियां जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं। अनेक बार विद्यालयों में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था भी नहीं होती। ऐसे में बच्चों का स्कूल जाना उनकी जान को जोखिम में डालना है।
कंधों पर बोझिल स्कूल बैग और दुखती पीठ
बढ़ते स्कूली बैग का भार बच्चों के लिए एक नवीन स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। छोटे-छोटे बच्चों को 5 से 8 किलो तक के बैग रोजाना ढोने पड़ते हैं, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब बच्चे तपती धूप में स्कूल आते-जाते हैं, जहां न तो छांव होती है और न ही कोई परिवहन सुविधा।
अभिभावकों की मांग : 30 जून तक छुट्टियां हों घोषित
एक बच्चे के पिता तरुण जैन ने खबर सत्ता से बातचीत करते हुए बताया कि मेरे साथ अनेकों स्कूली छात्रों के अभिभावकों का यह स्पष्ट और दृढ़ मत है कि,
“जब तक तापमान सामान्य स्तर पर नहीं आता, तब तक बच्चों को स्कूल भेजना अनुचित है।“
अतः वे प्रशासन से यह अपील करते हैं कि:
- सभी शासकीय एवं निजी स्कूलों की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां 30 जून तक बढ़ाई जाएं।
- स्कूल पुनः प्रारंभ होने पर बैग के वजन के नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।
- बच्चों को अन्य रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाए।
NCRT और शिक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देश
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) और शिक्षा मंत्रालय ने भी स्कूल बैग के वजन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके अनुसार:
- कक्षा 1-2 के बच्चों का बैग 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
- कक्षा 3-5 का अधिकतम वजन 2-3 किलोग्राम।
- कक्षा 6-8 के लिए 4 किलोग्राम।
- कक्षा 9-12 के लिए 5 किलोग्राम से अधिक नहीं।
अक्सर यह देखा गया है कि इन नियमों का विद्यालयों में पालन नहीं होता, जिससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिए अवसर
छुट्टियों के समय में बच्चे:
- पठन-पाठन के अलावा संगीत, नृत्य, खेलकूद, कला, विज्ञान प्रयोग, आदि गतिविधियों में भाग लेकर अपनी रचनात्मकता का विकास कर सकते हैं।
- मानसिक रूप से तनावमुक्त रहते हैं और समाज एवं परिवार से जुड़ाव भी बढ़ता है।
- आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन कोर्स, शौक पर आधारित प्रोजेक्ट आदि से बच्चे नई चीजें सीख सकते हैं।
शिक्षकों और विद्यालयों की भूमिका
विद्यालयों को चाहिए कि:
- वे छात्रों के लिए बैग रहित दिन (Bagless Days) लागू करें।
- हफ्ते में एक दिन ऐसा हो जब बच्चे केवल रचनात्मक गतिविधियों में भाग लें।
- छात्रों को लाइटवेट नोटबुक और डिजिटल मटेरियल प्रदान करें, ताकि बैग का बोझ कम हो।
प्रशासन से अपील
हम, समस्त अभिभावकों की ओर से, जिला कलेक्टर महोदय एवं जिला शिक्षा अधिकारी महोदय से विनम्र अपील करते हैं कि:
- भीषण गर्मी की गंभीरता को समझते हुए स्कूलों की छुट्टियों को 30 जून तक के लिए आगे बढ़ाया जाए।
- बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
- विद्यालयों को निर्देशित किया जाए कि वे NCERT के बैग नियमों का पालन सुनिश्चित करें।
बच्चे देश का भविष्य हैं। उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और मानसिक विकास की जिम्मेदारी सिर्फ परिवार की नहीं, बल्कि प्रशासन और विद्यालयों की भी है। इस भीषण गर्मी में उन्हें आराम, सुरक्षा और रचनात्मक विकास का अवसर मिलना चाहिए। यही समय है कि हम सभी मिलकर उनके स्वस्थ और सुरक्षित बचपन की ओर कदम बढ़ाएं।