Seoni, Barghat News: धान उपार्जन नीति का क्रियान्वयन और प्रशासनिक लापरवाही. हर वर्ष धान उपार्जन नीति को शासन द्वारा सटीक रूप से निर्धारित किया जाता है। इसके बावजूद, जिला अधिकारियों द्वारा इस नीति का पालन न करना शासन के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। वर्तमान स्थिति में, जिले की कई सहकारी समितियाँ ऐसी हैं जिनसे लाखों रुपये की वसूली बाकी है। इसके बावजूद, इन अपात्र समितियों को धान उपार्जन का कार्य सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह कदम न केवल शासन की नीतियों को कमजोर करता है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता को भी दर्शाता है।
दागदार समितियों का धान उपार्जन में हस्तक्षेप
पिछले अनुभव और विवादित घटनाएँ
पूर्व में, अपात्र और विवादित सहकारी समितियों को धान उपार्जन की जिम्मेदारी सौंपने का परिणाम बेहद नकारात्मक रहा है। उदाहरण के लिए, ताखला उपार्जन केंद्र में करोड़ों रुपये की धान की हेराफेरी का मामला सामने आया था। इस घटना ने न केवल किसानों को बल्कि प्रशासन को भी मुश्किल में डाल दिया था।
धारनाकला समिति और इसकी विवादास्पद स्थिति
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बृहताकार सहकारी समिति धारनाकला को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। इसके बावजूद, इस समिति को दो उपार्जन केंद्र आवंटित कर दिए गए हैं। इस समिति पर मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन लिमिटेड सिवनी का लाखों रुपये का बकाया है। साथ ही, इस समिति को विभाग से अनिवार्य एनओसी भी नहीं मिली है। इसके बावजूद, इस समिति को धान उपार्जन कार्य में सम्मिलित करना प्रशासनिक नियमों और नीति को हासिये पर रखने का संकेत देता है।
धारनाकला समिति की विवादास्पद छवि
अनियमितताएँ और प्रशासनिक मिलीभगत
यह समिति हमेशा से अनियमितताओं के मामलों में चर्चा का केंद्र रही है। चाहे वह समिति के संचालन से जुड़ा मामला हो या कर्मचारियों की नियुक्ति, हर बार नियमों को ताक पर रखा गया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस समिति को गर्त में ले जाने का कार्य लंबे समय से चल रहा है।
वसूली प्रक्रिया में लापरवाही
धान उपार्जन नीति के अनुसार, धान उपार्जन के दौरान हुई शॉर्टेज या अन्य अनियमितताओं की जिम्मेदारी संबंधित खरीदी प्रभारी और प्रबंधक की होती है। इसके बावजूद, लाखों रुपये की वसूली केवल कागजों तक सीमित रह गई है। हाल ही में महिला स्व-सहायता समूहों से वसूली के लिए कुर्की आदेश जारी किए गए थे। इसके विपरीत, सहकारी समितियों से लाखों की वसूली न होना शासन की नीति को केवल कागजों में सीमित रखे जाने का प्रमाण है।
महिला स्व-सहायता समूहों के साथ अन्याय
अच्छे प्रदर्शन के बावजूद कार्य से वंचित
पिछले सत्र में जिले की महिला स्व-सहायता समूहों ने धान उपार्जन कार्य को कुशलता से निभाया। इसके बावजूद, वर्तमान में प्राथमिकता ग्राम संगठन और संकुल संगठन को दी जा रही है। इस कारण, अच्छी कार्यक्षमता वाले महिला स्व-सहायता समूहों को उपार्जन कार्य से वंचित करने की संभावना बन रही है।
शासन की नीतियों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए आवश्यक है कि अपात्र समितियों को धान उपार्जन प्रक्रिया से बाहर रखा जाए। इसके साथ ही, वसूली प्रक्रिया को सख्ती से लागू कर, जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की जाए।