सिवनी, बरघाट, धारनाकला: बरघाट विकास खंड के दर्जनों महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्रम मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखते हुए आवेदन किया है कि महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा गणवेश सिलाई की राशि वापस नहीं की जाएगी, क्योंकि महिलाओं के द्वारा देरी से गणवेश का कपड़ा प्राप्त होने के बाद भी गणवेश सिलाई का कार्य किया जा चुका है, किन्तु समूहों के खाते में प्राप्त गणवेश की राशि वापस करने के लिए विभाग द्वारा निरंतर दबाव बनाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जहां केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं और इसी कड़ी में महिला स्व सहायता समूहों को स्कूल के बच्चों के गणवेश सिलाई से जोड़ा गया है और इसी का परिणाम है कि पिछले तीन वर्षों से महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा ग्रामीण अंचलों में छात्र-छात्राओं की गणवेश सिलाई का कार्य किया जा रहा है जो कि बरघाट विकास खंड में पूर्ण ईमानदारी के साथ महिला स्व सहायता समूहों ने किया है, तथा स्कूलों में गणवेश वितरण भी सुचारू रूप से किया गया है।
महिला स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया है कि वर्ष 2023-24 में गणवेश सिलाई की राशि समूह के खाते में डाली गई है, जिसमें वेडर द्वारा कपड़ा सिलाई के लिए लिया गया है, किन्तु कपड़ा सिलाई के लिए बहुत देर होने के बाद प्रदान किया गया आनन्तरिक में प्रशासन द्वारा 20 मार्च तक सिलाई का कार्य पूरा करने का फरमान भी जारी किया गया और महिलाओं द्वारा 20 मार्च तक गणवेश सिलाई का कार्य पूरा नहीं किया गया। महिला स्व सहायता समूहों द्वारा समयावधि बढ़ाने का निवेदन भी किया गया, किन्तु अब समय सीमा में गणवेश सिलाई न होने पर समूहों के खाते में डाली गई राशि वापस करने का दबाव बनाया जा रहा है।
गणवेश सिलाई मामले में हो चुकी है कार्यवाई
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि छात्र-छात्राओं की गणवेश सिलाई तथा खरीदी मामले पर शिकायत पर ठोस कार्रवाई भी सामने आई है तथा छात्र-छात्राओं की ड्रेस की जब्ती की कार्रवाई भी प्रशासन द्वारा करते हुए ठोस कार्रवाई की गई है तथा गणवेश मामले में ही आजीविका मिशन की जिले प्रबंधक आरती चौपड़ा का स्थानांतरण भी हुआ है तथा इस मामले में जांच का दौर भी अभी थमा नहीं है।
यहाँ यह बताना भी लाजिमी है कि गणवेश मामले में जहां कुछ जाने-माने नेताओं से जुड़े महिला स्व सहायता समूहों के नाम सामने आए हैं वहीं दूसरी तरफ उसकी आचरण स्वच्छता महिला स्व सहायता समूहों पर भी पड़ती दिखाई दे रही है जिनके द्वारा शासन की नियमानुसार गणवेश सिलाई का कार्य किया जा रहा है, और यह बात भी सामने आई है कि गणवेश मामले में छापामार कार्रवाई के बाद ही ग्रामीण अंचलों के महिला समूहों की गणवेश सिलाई की ओर गंभीरता से विभाग द्वारा ध्यान दिया गया और आन्तरिक में गणवेश सिलाई की जिम्मेदारी समूहों को सौंपी गई, किन्तु समय सीमा में गणवेश सिलाई का कार्य पूरा न होने पर राशि वापस मांगी जा रही है।