मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक राज नारायण तिवारी ने सोमवार सुबह अपने ही स्कूल परिसर में खुद को आग लगा ली। बताया जा रहा है कि वे लगातार बीएलओ ड्यूटी (Booth Level Officer) में लगाए जाने से परेशान थे। इतना ही नहीं, उन्होंने स्कूल के प्राचार्य पर मानसिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप भी लगाया है।
यह घटना छपारा विकासखंड के भीमगढ़ शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल की है, जहाँ तिवारी जी बतौर शिक्षक कार्यरत थे।
घटना के बाद मचा हड़कंप — अस्पताल में भर्ती
सूत्रों के मुताबिक, जब शिक्षक राज नारायण तिवारी ने खुद को आग लगाई, तो स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। साथी कर्मचारियों ने तुरंत उन्हें बुझाने की कोशिश की और गंभीर हालत में छपारा अस्पताल पहुँचाया गया। वहां से उन्हें तत्काल जिला अस्पताल सिवनी रेफर किया गया।
डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर है, लेकिन शरीर का बड़ा हिस्सा झुलस गया है।
भाई का आरोप – “प्राचार्य की प्रताड़ना से तंग आ चुके थे”
घायल शिक्षक के भाई आनंद नारायण तिवारी ने मीडिया को बताया कि उनके भाई को साल 2011-12 की जनगणना के दौरान उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था।
भाई के अनुसार, पिछले कुछ समय से राज नारायण तिवारी मानसिक रूप से काफी परेशान थे। उन्होंने कई बार बताया था कि स्कूल प्राचार्य लगातार उन्हें तंग कर रहे हैं और अनावश्यक बीएलओ ड्यूटी में लगाया जा रहा है।
प्रशासन हरकत में — नायब तहसीलदार ने दर्ज किए बयान
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। नायब तहसीलदार रामसेवक कोल स्वयं अस्पताल पहुंचे और घायल शिक्षक के बयान दर्ज किए।
वहीं, जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त लालजीराम मीणा ने कहा —
“बीएलओ की ड्यूटी लगाना या हटाना अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) या कलेक्टर का अधिकार होता है। अगर किसी शिक्षक को दिक्कत थी, तो वह सीधे संबंधित अधिकारियों को बता सकते थे। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है, और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।”
आदर्श शिक्षक से दर्दनाक कदम तक — सवालों के घेरे में है सिस्टम
एक समय में “राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त आदर्श शिक्षक” कहलाने वाले राज नारायण तिवारी का यह कदम पूरे जिले को झकझोर गया है। सवाल यह है कि यदि प्रशासन और शिक्षा विभाग समय रहते उनकी परेशानियों को सुन लेते, तो शायद आज यह हालात न बनते।
जनता में आक्रोश — “शिक्षकों को सम्मान चाहिए, मजबूरी नहीं”
घटना के बाद से सिवनी जिले के शिक्षकों में आक्रोश है। कई शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“शिक्षक समाज की रीढ़ हैं, अगर उन्हें ही लगातार दबाव और ड्यूटी के बोझ में झोंका जाएगा, तो यह किसी के भी साथ हो सकता है।”
एक सवाल पूरे सिस्टम से — क्या शिक्षक अब सुरक्षित हैं?
राज नारायण तिवारी का यह कदम सिर्फ एक व्यक्ति की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। यह घटना अब प्रशासन के लिए जागने का संकेत है — ताकि भविष्य में कोई और शिक्षक अपनी आवाज उठाने के बजाय खुद को आग लगाने जैसा खौफनाक कदम न उठाए।

