सिवनी, बरघाट – जिले में नकली खाद के कारोबार को लेकर बीते माह कृषि विभाग द्वारा की गई एक बड़ी कार्रवाई के बावजूद अब तक दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। बरघाट थाना परिसर में नकली डीएपी खाद से भरा ट्रक आज भी जस का तस खड़ा है और किसान इस मामले में कठोर कदम उठाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
आष्टा रोड पर हो रहा था ट्रक खाली
मामला तब सामने आया जब एक ट्रक नकली डीएपी खाद से भरा हुआ आष्टा-गगेरूआ मार्ग पर शाम के समय बेखौफ तरीके से खाली किया जा रहा था। ट्रक से दो पिकअप वाहनों में खाद की बोरियां लादी जा चुकी थीं। इसी दौरान कृषि विभाग की टीम ने मौके पर दबिश देते हुए ट्रक को कब्जे में लिया और खाद की बोरियां जब्त कर लीं। इसके बाद ट्रक को बरघाट पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया।
कानूनी कार्रवाई हुई, लेकिन आगे की प्रक्रिया ठप
कृषि विभाग की शिकायत पर बरघाट पुलिस ने धारा 19(सी) उर्वरक नियंत्रण आदेश, धारा 3 व 7 ईसी एक्ट के तहत प्रकरण क्र. 331/24 दर्ज कर लिया। आरोपी सुनील राहंगडाले, निवासी केकड़ी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया। पुलिस ने कहा था कि जांच के बाद इस मामले में और भी नाम सामने आ सकते हैं और कार्रवाई की जाएगी। लेकिन आज तक न तो कोई नया नाम जोड़ा गया और न ही आगे कोई गिरफ्तारी या सख्त कदम उठाए गए हैं।
परीक्षण रिपोर्ट के इंतज़ार में अटकी कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार कृषि विभाग द्वारा जब्त खाद के सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि कार्रवाई रिपोर्ट आने के बाद ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। यदि रिपोर्ट में खाद अमानक साबित नहीं हुई, तो मामला वहीं ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
न्यायालय ने खारिज की ट्रक सुपुर्दगी की याचिका
इस मामले में ट्रक की सुपुर्दगी हेतु निचली अदालत में प्रस्तुत आवेदन को न्यायालय ने खारिज कर दिया है। ट्रक पिछले एक महीने से पुलिस थाने में खड़ा है। हालांकि पुलिस ने सख्त कार्रवाई की बात कही थी, परंतु कृषि विभाग द्वारा अब तक पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए हैं।
डीएपी की बोरियां 300 की कीमत पर मंगाई, 1600 में बेची जा रही थीं
ट्रक की बिल्टी के अनुसार नकली डीएपी खाद की बोरियों की कीमत मात्र 300 रुपये प्रति बोरी थी, जबकि इन्हें किसानों को 1500 से 1600 रुपये में बेचा जा रहा था। ट्रक बालाघाट के लिए रवाना बताया गया, फिर भी वह धारनाकला में कैसे खाली हो रहा था, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
कार्रवाई में देरी से बढ़ रहा है किसानों का आक्रोश
कृषि विभाग की इस कार्रवाई में प्रफुल्ल घोड़ेस्वार, राजेश मेश्राम, और आर.डी. नायक की अहम भूमिका रही। लेकिन अब तक जिन लोगों ने नकली खाद मंगवाई थी, उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे क्षेत्र में जनचर्चा का विषय बना हुआ है। अन्नदाता किसान आज भी नकली डीएपी के नाम पर ठगे जा रहे हैं।
क्या जिला प्रशासन करेगा हस्तक्षेप?
कृषि से जुड़ा यह गंभीर मामला प्रशासन की गंभीरता की कसौटी पर खड़ा है। जिले की संवेदनशील कलेक्टर को चाहिए कि इस पर विशेष ध्यान दें और दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई कराएं।
इनका कहना
एस. के. धुर्वे, उप संचालक, कृषि विभाग, सिवनी ने बताया —
“मामला न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया है। डीएपी का गलत ब्रांड इस्तेमाल किया जा रहा था। डाय अमोनियम फॉस्फेट पूर्ण ब्रांड नहीं था, इसी आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। जांच प्रक्रिया जारी है।”
नकली खाद का यह मामला केवल किसानों की मेहनत पर डाका ही नहीं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और उत्पादन पर भी गंभीर असर डाल सकता है। यह आवश्यक है कि कृषि विभाग और पुलिस मिलकर सख्त और पारदर्शी कार्रवाई करें, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।