सिवनी। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के कुरई क्षेत्र में आदमखोर बाघ का आतंक चरम पर है। ग्राम रेड्डी और खंडासा में पिछले कुछ सप्ताहों में कई हमलों ने ग्रामीणों को खौफ में डाल दिया है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, बाघ ने पिछले 15 दिनों में तीन बार हमला किया है।
खंडासा में पहला हमला
लगभग 15 दिन पहले खंडासा में एक वृद्ध पर बाघ ने हमला किया था। इस घटना में वृद्ध गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद बाघ का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा।
रेड्डी में दूसरा हमला
कुछ दिनों बाद ग्राम रेड्डी के पास एक खेत में काम कर रहे व्यक्ति पर बाघ ने हमला किया। यह हमला बहुत ही खतरनाक था और व्यक्ति को गंभीर चोटें आईं।
खंडासा में तीसरा हमला
इसी सप्ताह खंडासा में फिर से बाघ ने एक बुजुर्ग पर हमला किया, जिससे वह भी गंभीर रूप से घायल हो गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार, खवासा सामान्य वन परिक्षेत्र में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
कल की घटना
कल दिनांक 1 अगस्त 2024 को छोटेलाल वेध, पिता बुधिया, उम्र लगभग 70 वर्ष, खंडासा टोला निवासी अपने मवेशी लेकर जंगल की ओर गए थे। वहां बाघ ने उन पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने छोटे लाल को उपचार के लिए कुरई स्वास्थ्य केंद्र लाया, जहां से उन्हें नागपुर रेफर कर दिया गया।
पूर्व की घटनाएं
इसके पूर्व बाघ के हमले से गोबर्धन पटले की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों को घटना की जानकारी दी है, लेकिन विभाग की निष्क्रियता से लोग बेहद नाराज हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहा।
ग्रामीणों का आक्रोश
पिछले वर्ष भी इसी तरह के हमलों से परेशान ग्रामीणों ने प्रशासन को चेताया था। लेकिन कोई ठोस कदम न उठाने पर लोगों ने हाइवे जाम कर अपना आक्रोश व्यक्त किया था, जिसमें वन विभाग के वाहनों में तोड़फोड़ भी हुई थी।
जरूरत ठोस कदमों की
अब समय आ गया है कि वन विभाग पुरानी घटनाओं से सीख ले और समय रहते ठोस कदम उठाए। ग्रामीणों को आदमखोर बाघ के आतंक से निजात दिलाने के लिए विभाग को तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है।
वन विभाग की भूमिका
वन विभाग की भूमिका इस स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। बाघ के हमले से बचाव के लिए वन विभाग को तुरंत सक्रिय होना चाहिए। विभाग को गांवों में सुरक्षा उपाय बढ़ाने चाहिए और ग्रामीणों को सुरक्षित रहने के उपाय बताने चाहिए।
ग्रामीणों की सुरक्षा
ग्रामीणों को भी अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा। जंगलों में अकेले जाने से बचें और समूह में ही जाएं। बाघ के हमले से बचने के लिए गांवों में सुरक्षा बैठकें आयोजित की जाएं।
सिवनी जिले के ग्रामीण आदमखोर बाघ के आतंक से जूझ रहे हैं। इन घटनाओं ने ग्रामीणों की जीवनशैली पर गंभीर प्रभाव डाला है। अब समय है कि वन विभाग त्वरित और ठोस कदम उठाए ताकि ग्रामीणों को सुरक्षित वातावरण मिल सके।