गांधी जी का देश की आजादी में योगदान किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग में चलकर ब्रिटिश शासन को मजबूर कर दिया कि भारत के स्वायत्ता का सम्मान करते हुए उसे आजादी दे। उन्होंने न सिर्फ भारत की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्की कई देशों में वे प्रेरणा के स्त्रोत्र बने।
चार महादेशों पर, चौदह देशों में उन्होंने लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित किया। भारत में उन्होनें अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये और उनका उद्देश्य यही था कि लोग अपना काम स्वयं करें। विद्यार्थी मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।
यह बात शनिवार को गांधी जयंती के अवसर पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस शासकीय उच्च.माध्य.विद्यालय सिवनी में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने कही।
इस अवसर पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी नवनीत पाण्डेय ने कहा कि भारत में 18 के दशक में तीन विभुतियाँ हुई।
जिन्होंने देश को उचाई प्रदान की उनमें शिकागों जाकर धर्म सभा में भारतीय संस्कृति को रखा, वह थे स्वामी विवेकानंद जी एवं अफ्रीका जाकर महात्मा गांधी ने गोरे एवं काले के भेद को दूर करते हुए उन्होनें कहा कि जब तक देश में अमीर-गरीब का भेद नही मिटता तब तक आजादी मिलना कठिन है और अमीर लोग अपने धन को गरीबों में बाँटे तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पायेंगे।
अपर सत्र न्यायाधीश विधिक चंद्रशेखर बारपेटे ने कहा गांधी जी व्यक्ति नही एक विचारधारा थे जिन्होने सिर्फ देश को आजादी दिलाने में ही नही बल्कि सामाजिक क्षेत्रों में भी अनेक कार्य किये है। जिसके कारण पूरा विष्व उनकी जयंती पर नमन करता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का प्रिय भजन वैष्णव जन तो तेरे कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे की प्रस्तुति शाला के शिक्षक प्रभुदयाल नाग एवं सामाजिक न्याय विभाग से रोमनसिंह मरावी ने दी। कार्यक्रम के दौरान सामाजिक न्याय विभाग एवं शाला के बच्चों द्वारा महात्मा गांधी अमर रहे के नारे के साथ प्रभातफेरी के साथ रैली निकाली।
इस दौरान जिला न्यायालय, शिक्षा विभाग व अन्य विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों सहित स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।