सिवनी/बरघाट/धारनाकला (संवाददाता संतोष शुक्ला): राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत मिलने वाले मुफ्त राशन में बड़ा खुलासा हुआ है। आयकर विभाग की रिपोर्ट के बाद यह साफ हो गया है कि लंबे समय से आयकर दाता और संपन्न वर्ग के लोग भी गरीबों के हक का राशन डकार रहे थे।
विभाग ने शुरू की कार्रवाई, नोटिस तामील
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश के कई जिलों में जांच शुरू की गई है। वार्षिक आय 6 लाख से अधिक रखने वाले ऐसे हजारों हितग्राहियों को नोटिस जारी कर दिया गया है, जिनके नाम पात्रता सूची से हटाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है।
इस कार्रवाई के बाद से मुफ्त राशन लेने वाले संपन्न वर्ग में हड़कंप मच गया है।
गरीबों का हक छीन रहे थे अमीर
ई-केवाईसी जांच में सामने आया है कि हजारों आयकर दाता हर महीने गरीबों के लिए आवंटित अनाज उठा रहे थे। विभाग का कहना है कि यह स्थिति न केवल योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, बल्कि उन गरीब परिवारों के साथ अन्याय भी है, जिन्हें आज भी राशन की जरूरत है लेकिन पात्रता सूची में शामिल न होने के कारण वंचित रह जाते हैं।
किसानों की भी होगी जांच
सूत्रों के अनुसार, खाद्य विभाग उन किसानों की भी सूची तैयार कर रहा है, जो हर साल समर्थन मूल्य पर लाखों रुपये का गेहूं, धान और सोयाबीन बेचते हैं। ऐसे समृद्ध किसानों के नाम भी अब राशन कार्ड से हटाने की तैयारी है। जिला और ब्लॉक स्तर पर सत्यापन कर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर से राशन लेने पहुंचते अमीर
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राशन दुकानों पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों से पहुंचकर अमीर लोग मुफ्त का राशन लेते हैं और बाद में उसे खुलेआम बाजार में बेच देते हैं।
इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिनके पास लाखों-करोड़ों की संपत्ति, व्यापार और आय के भरपूर साधन हैं। बावजूद इसके, वे न केवल मुफ्त का राशन ले रहे हैं, बल्कि पंचायत स्तर की अन्य योजनाओं का भी लाभ उठा रहे हैं।
जल्द होगी सख्त कार्रवाई
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद हजारों फर्जी लाभार्थियों पर ठोस कार्रवाई होगी। इससे वास्तविक गरीब और जरूरतमंद परिवारों को योजना का लाभ पहुंच सकेगा।