धारनाकला: आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर में व्याप्त अनियमितताओं के लेकर उपयुक्त सहकारिता सिवनी के निर्देश पर जांच दल द्वारा विस्तार से जांच किये जाने से कर्मचारियों में हड़कंप तो है, वहीं दूसरी तरफ समिति को अपनी जागीर समझकर समिति को लगातार छटि पहुंचाने वाले अब एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते नजर आ रहे हैं।
चूंकि लंबे अर्से से आदिम जाति सहकारी समिति को दीमक की तरह चरने वाले जवाबदारों पर जांच दल कैसे शिकंजा कसता है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। चूं
कि जवाबदारों ने किसानों से जुड़ी समिति को धान शार्टेज से लेकर नए बारदानों की अफरातफरी में भी लाखों की छटि समिति को पहुंचाई है, जिससे समिति लगातार हानि के दौर से गुजर रही है। वहीं दूसरी तरफ जवाबदारों के मालामाल होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
वसूली सिर्फ जांच तक ही सिमटी न रहे
उल्लेखनीय है कि सहकारी समितियों पर बकाया वसूली के संबंध में आज तक ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है और न ही विधिवत वसूली की कार्रवाई हुई है। और यह आलम लंबे समय से चल रहा है। यही कारण है कि आज जिले की अधिकांश सहकारी समितियों की हालत दयनीय होती चली जा रही है।
आदिम जाति सहकारी समिति पर उपार्जन कार्य में हजारों क्विंटल धान का शार्टेज हुआ था, जिस कारण समिति को लाखों रुपये की छटि तथा हानि का सामना करना पड़ा। जबकि उपार्जन नीति में स्पष्ट उल्लेख है कि यह पूर्ण जवाबदारी प्रबंधक तथा खरीदी प्रभारी की होती है, जिनसे नियमित रूप से वसूली की कार्रवाई होनी थी, किन्तु वसूली के लिए कार्यालय से नोटिस तामिल तो हुए किन्तु ठोस कार्रवाई आज तक नहीं की गई।
वहीं दूसरी तरफ कलेक्टर से जारी पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि बारदाना तथा शार्टेज वसूली की कार्रवाई करते हुए वसूलीयों को मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें तथा समिति के विरुद्ध वसूली एवं एफ आई आर की कार्रवाई की जाए, जिसे अखबारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशन के बाद जांच प्रारम्भ की गई है, जिससे समिति से जुड़े किसानों ने भी और खासकर जनपद सदस्य लेखराम हरिनखेड़े ने निष्पक्ष जांच के साथ कार्रवाई की अपेक्षा भी जांच दल से की है।
राशन दुकानों की भी हो निष्पक्ष जांच
आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर के अधीन पांच राशन दुकानें क्रमशः लालपुर, अतरी, जनमखारी, ताखलाकला, तथा धोबी सर्रा संचालित हैं। रिकार्ड में तो दैनिक वेतन भोगी आपरेटरों के नाम से आवंटित तो करा ली गई किन्तु इन दुकानों का संचालन वर्षों से दो ही कर्मचारी करते चले आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आपरेटरों के द्वारा आज तक राशन दुकान का संचालन नहीं किया गया।
वैसे आपरेटरों की माने तो उन्हें एक से डेढ़ वर्ष से वेतन भी नहीं मिलने की बात सामने आई है। वहीं दूसरी पांच हजार रुपये महीने में काम करने वाले आपरेटर के नाम से जो दुकान संचालित है, विक्रेता के तौर पर विधिवत रूप से दस हजार पांच सौ रुपये कमीशन एम पी स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन सिवनी से प्रदान होता है, जो कि सही है। वहीं नियम विरुद्ध तरीके से दैनिक वेतन भोगी आपरेटरों के नाम से भी दुकान कैसे आवंटित हुई और हो गई, तो संचालन क्यों नहीं हुआ, यह जांच का विषय है।
89 दिन की नियुक्ति की भी हो निष्पक्ष जांच
जनपद सदस्य लेखराम हरिनखेड़े ने समिति में नियम विरुद्ध तरीके से 89 दिन की नियुक्ति दैनिक वेतन भोगी के रूप में किये जाने को लेकर भी कहा है कि इसकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। चूंकि समिति लालपुर में तेरह से चौदह गांवों के किसान जुड़े हुए हैं, जिनका लेन-देन खाद बीज से लेकर नगदी के रूप में होता है, किन्तु 89 दिन की भर्ती के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया है, जो 89 दिन वर्षों से समाप्त ही नहीं हुए। ऐसी स्थिति में इसकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकि किसानों पर किसानों का विश्वास बना रहे।
जांच दल यह है शामिल
यहाँ यह बताना भी लाजिमी है कि आदिम जाति सहकारी समिति की जांच में टी बेग, कमलेश मरावी तथा ऑडिटर डहेरिया द्वारा समिति की जांच की जा रही है, जिनसे किसानों को जांच में निष्पक्षता की उम्मीद के साथ कार्रवाई की भी आवश्यकता है।