सिवनी,धारनाकलां, (एस.शुक्ला): बरघाट जनपद के ग्राम घीसी के प्राथमिक एवम माध्यमिक स्कूल में मध्यान्ह भोजन को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है और इस संबंध में जांच अधिकारियों के द्वारा भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा.
उल्लेखनीय है की इस प्राथमिक साला में रसोइया महिला और साला की प्रधान पाठक के विवाद में स्कूली बच्चों को लगभग एक माह से ऊपर का समय बीत गया मध्यान्ह भोजन विधिवत नहीं मिल पा रहा है
पालकों ने लगाए घटिया स्तर का भोजन परोसने के आरोप
जहा इस स्कूल में अध्यनरत बच्चो के पालकों ने बच्चो को घटिया स्तर का भोजन परोसने के आरोप रसोइया पर लगाए है वही स्कूल की प्रधान पाठक ने भी रसोइया के द्वारा घटिया भोजन और बच्चो से काम करवाने के आरोप लगाए है और इसी विवाद के चलते स्कूल में बच्चो को मिलने वाला मध्यान्ह भोजन लंबे समय से प्रभावित हो रहा है
रसोइया भी विवाद के चलते गांव से बाहर
यहां यह भी उल्लेखनीय है की जो रसोइया स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाती थी वह भी लगभग दस पंद्रह दिनों पूर्व ही गांव छोड़कर बाहर जा चुकी है इस स्थिति में भी दूसरी रसोइया की व्यवस्था यहां पर अब तक नहीं बनाई गई है जिससे बच्चो को नियमित मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा रहा है
मामला पहुंचा जिला पंचायत सिवनी
रसोइया का विवाद बरघाट जनपद से लेकर अब जिला पंचायत तक जांच के लिए जा पहुंचा जहा दोनो पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है ले किंतु जांच में अब तक कोई भी तथ्य सामने नहीं आए और जांच जारी है किंतु इस मामले में शिवराज सरकार की मध्यान्ह भोजन योजना इनके विवाद में बंद पड़ी है
विभाग को दी जा रही गलत जानकारी
रसोइया और स्कूल का विवाद तो एक माह से ऊपर का समय बीत गया चल रहा है और रसोइया भी मध्यान्ह भोजन बनाने नही जा रही है ऐसी स्थिति में बच्चो को सुखा मुर्रा और पोहा खिलाया गया किंतु जब मामला सुर्खियों में आया तो येन केन भोजन परोसने की व्यवस्था बनाई गई किंतु यह भी दो चार दिनों में ही सिमट कर रह गई चूंकि प्राथमिक साला में भोजन परोसने वाली महिलाओं ने मध्यान्ह भोजन इस लिए बनाना बंद कर दिया की उन्हे भोजन बनाने का कोई पैसा नहीं मिल रहा था जब इस संबंध में महिलाओं से बात की गई तो उन्होंने ने बताया की हमे बामुस्किल दो हजार रुपए मिलता है और एक ही स्कूल का मध्यान्ह भोजन बनाने में हमे बहुत समय लग जाता है ऐसी स्थिति में हम बिना मजदूरी के क्यों भोजन बनाए जबकि विभागीय अधिकारी मध्यान्ह भोजन नियमित रूप से बनने का दावा करते है जबकि हकीकत और कुछ है जिसे विभाग के अधिकारी भी जानते है
आनंद स्व सहायता समूह करता है मध्यान्ह भोजन का संचालन
यहां यह भी उल्लेखनीय है की ग्राम घीसी के स्कूलों के लगभग दस से बारह वर्षों से आनंद स्व सहायता समूह मध्यान्ह भोजन का संचालन करते आ रहा है समूह की संचालिका अध्यक्ष ने बताया की हमारे द्वारा मध्यान्ह भोजन का संचालन पारदर्शिता के साथ सासन के मेनू के आधार पर दिया जा रहा है यही नहीं हमारे समूह द्वारा लंबे समय से तीन स्कूलों के मध्यान्ह भोजन परोसा जा रहा है जहा आज तक कोई शिकायत सामने नहीं आई है
घीसी के माध्यमिक साला में समूह की अध्यक्ष के बताए अनुसार अब तक पांच रसोइया महिला को बदला जा चुका है और पता नही इसी माध्यमिक साला में ही क्यों रसोइया का विवाद सामने आता है समझ से परे है फिर भी रसोइया महिला को हटा दिया गया है और रसोइया महिला ही अपने घर से परिवार सहित बाहर जा चुकी है फिर भी अब तक रसोइया की समस्या से निजात न मिलना समझ से परे है वही दूसरी तरफ अनेकों अधिकारियों के जांच करने पर भी स्कूल का मध्यान्ह भोजन विवाद सुर्खियों ने बना हुआ है
घटिया और इल्ली युक्त भोजन परोसने पर क्यों नहीं हुई कारवाही
यहां यह बताना भी लाजमी है की माध्यमिक स्कूल घीसी में घटिया और इल्लियुक भोजन परोसने के आरोप भी लगे है तथा सोसल मीडिया में भी यह बात सामने आई है की बच्चो को मध्यान्ह भोजन में इल्ली युक्त भोजन परोसा जा रहा था और रसोइया द्वारा बच्चो से बर्तन भी साफ करवाए जाते थे ऐसी परिस्थिति में स्कूल में पदस्थ जवाबदार शिक्षकों के द्वारा कोई कारवाही क्यों नही की गई और यह मामला अब तक क्यों दबा रहा स्कूली बच्चो को जब इल्ली युक्त भोजन परोसा जा रहा था तो साला में पदस्थ जवाब दर शिक्षक शिक्षक क्या कर रहे थे वही दूसरी तरफ मध्यान्ह नियमित बच्चो को मिले इस दिशा में कोई हल सामने नहीं आया है और जांच अधिकारी और संबंधित अधिकारी एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे है