सिवनी: ब्लैकलिस्टेड समितियों को मिला धान खरीदी का जिम्मा, ईमानदार महिला समूहों को किया जा रहा है दरकिनार

क्यों हो रही है महिला स्व-सहायता समूहों के साथ नाइंसाफी?

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सिवनी: ब्लैकलिस्टेड समितियों को मिला धान खरीदी का जिम्मा, ईमानदार महिला समूहों को किया जा रहा है दरकिनार

सिवनी, मध्यप्रदेश — जिले में इस बार की धान खरीदी नीति पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। जहां एक ओर सरकार महिला स्व-सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर विभागीय अमले के कुछ अफसर अपने निजी स्वार्थ और कमीशन के खेल में इन समूहों को धान खरीदी से दूर करने की साजिश रच रहे हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ब्लैकलिस्टेड सहकारी समितियां, जिन पर लाखों रुपये की धान और बारदाना शार्टेज वसूली लंबित है, उन्हें न सिर्फ एक, बल्कि दो से तीन खरीदी केंद्रों का आवंटन देने की तैयारी की जा रही गया है। यह वही समितियां हैं, जिनका रिकॉर्ड मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन, सिवनी में स्पष्ट रूप से ब्लैकलिस्ट दर्ज है।

लाखों की वसूली बाकी, फिर भी अफसर मेहरबान!

जिले की अधिकांश समितियों पर धान शार्टेज की लाखों रुपये की राशि वसूली योग्य है। उपार्जन नीति के अनुसार, वसूली की कार्रवाई धान खरीदी प्रभारी से होनी चाहिए, लेकिन विभागीय अमले ने आज तक एक भी प्रभारी से पूर्ण वसूली नहीं की

इसके उलट, जिन समितियों से वसूली होनी थी, उन्हीं को फिर से जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी की जा रही है। इससे यह साफ झलकता है कि विभागीय अधिकारी कमीशन की राजनीति में उलझे हुए हैं और शासन की नीतियों को ठेंगा दिखा रहे हैं

कमीशन और भ्रष्टाचार का खेल

धान खरीदी के दौरान समितियों को मिलने वाला कमीशन, अब शार्टेज राशि में समायोजित कर लिया जाता है। इस वजह से कई समितियां आर्थिक संकट में हैं और कर्मचारियों को वेतन तक के लाले पड़ गए हैं।
विभागीय जांच और नोटिस की प्रक्रिया भी कागजों तक सीमित रह गई है। जिन अफसरों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी थी, वही लाभ उठाने वालों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं

कलेक्टर के आदेश भी ठंडे बस्ते में

कलेक्टर द्वारा कई बार वसूली के आदेश जारी किए गए, लेकिन विभागीय अधिकारी अब तक निष्क्रिय बने हुए हैं। हजारों क्विंटल धान शार्टेज की राशि अब तक नहीं वसूली जा सकी है।

यह स्थिति केवल शासन की छवि को धूमिल नहीं कर रही, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है —

क्या वाकई सिवनी जिले में अफसरों से ऊपर कोई जवाबदेही बची है?

महिला समूहों पर सख्ती, समितियों पर नरमी — दोहरा मापदंड क्यों?

महिला स्व-सहायता समूहों को धान खरीदी केंद्र आवंटित करने से पहले उनसे 10 लाख रुपये की एफडीआर और खाते में न्यूनतम 2 लाख रुपये जमा करवाए जाते हैं।
इतना ही नहीं, परिवहन शार्टेज की राशि तक उनसे वसूली जाती है — भले ही उन्होंने पूर्ण वजन वाला धान ट्रक में भरवाया हो और धर्मकांटे की पर्चियां सबूत के रूप में जमा की हों।

इसके बावजूद इन समूहों को धान खरीदी से बाहर करना, जबकि ब्लैकलिस्टेड समितियों को मौका देना, समझ से परे है।

अब सवाल सरकार और कलेक्टर से

  • क्या विभागीय अधिकारी सरकार की नीति को चुनौती दे रहे हैं?
  • क्यों ब्लैकलिस्टेड समितियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई?
  • कब तक ईमानदार महिला समूहों को उनके अधिकार से वंचित रखा जाएगा?

सिवनी जिले की यह स्थिति बताती है कि जहां शासन पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करता है, वहीं जमीनी स्तर पर कमीशनखोरी और सियासी संरक्षण ने पूरी व्यवस्था को खोखला कर दिया है।
अब देखना यह होगा कि क्या जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस गंभीर मामले में कोई ठोस कदम उठाती है या फिर यह मुद्दा भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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