सिवनी, मठ महाकाल मंदिर: श्रावण मास का पावन समय और शनिवार की पवित्र रात्रि — इस संगम में जब श्रद्धा, सेवा और भक्ति एक साथ मिलती है, तब नज़ारा अलौकिक बन जाता है। मठ महाकाल मंदिर में हर शनिवार की रात्रि को कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिलता है, जब मंदिर समिति के समर्पित सेवादार रूपेश सेन, अमित ठाकुर, शुभम सनोडिया, दिनेश चौरसिया एवं अन्य साथी मिलकर भोलेनाथ का दिव्य श्रृंगार करते हैं।
इस शनिवार की रात्रि को विशेष रूप से भोलेनाथ का बालाजी महाराज के रूप में भव्य श्रृंगार किया गया। जैसे ही बाबा भोलेनाथ को बालाजी के स्वरूप में सजाया गया, श्रद्धालुओं की आंखें श्रद्धा और विस्मय से भर गईं। मंदिर परिसर में ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं संजीवनी बालाजी महाराज प्रकट होकर भक्तों को दर्शन देने आ गए हों।
विशेष श्रृंगार की झलकियाँ:
- सबसे पहले भोलेनाथ का पवित्र जल, दूध और गंगाजल से अभिषेक किया गया।
- तत्पश्चात ताजे, रंग-बिरंगे फूलों से किया गया फूलों का श्रृंगार, जो पूरे वातावरण को सुगंधित और आध्यात्मिक बना गया।
- बाबा के मुकुट, वस्त्र और हारों में की गई फूलों की सजावट इतनी मोहक थी कि हर भक्त भावविभोर हो गया।
सेवादारों की मेहनत और भक्ति:
सेवादारों ने बताया कि इस दिव्य श्रृंगार के लिए वे प्रत्येक शनिवार की सुबह 3 बजे सिवनी से नागपुर जाकर स्वयं ताजे और सुंदर फूल खरीद कर लाते हैं। इन फूलों से सभी देवी-देवताओं के लिए हार, माला और मेल (फूलों की पोशाक) तैयार किए जाते हैं। इस संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग दो दिनों की लगातार मेहनत लगती है।
इन भावनाओं से ओतप्रोत श्रृंगार के पीछे केवल श्रृंगार ही नहीं, अनंत भक्ति, प्रेम और सेवा की भावना छिपी होती है।
श्रद्धालुओं की श्रद्धा:
श्रृंगार देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। कुछ लोग तो बालाजी रूप में बाबा के दर्शन कर इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से अश्रुधारा बहने लगी।
मंदिर में घंटियों की गूंज, भजन की मधुर ध्वनि और फूलों की सुगंध ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
मठ महाकाल मंदिर में यह परंपरा पिछले कई वर्षों से निभाई जा रही है, लेकिन हर बार इसमें कुछ नया, कुछ विशेष जुड़ता है। श्रावण मास में शनिवार की यह रात, केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति और भावनाओं की जीवंत तस्वीर बन चुकी है।