सिवनी, बरघाट (एस. शुक्ला): गत दिनो बरघाट विधानसभा के ग्राम उडेपानी मे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जनसभा को संबोधित किया. इसी बीच छेत्रीय विधायक अर्जुन सिंह ककोडिया द्वारा हनुमान जी पर की गई टिप्पणी बरघाट ही नही अपितु पूरे मध्यप्रदेश मे तूल पकडती हुई दिखाई दे रही है.
बरघाट के कांग्रेस विधायक अर्जुन सिंह ने हनुमान जी को जातिगत समीकरण से जोडकर न हिंदू भावना को ठेस पहुंचाया है अपितु श्रीराम और भक्त हनुमान से आस्था रखने वाले भक्तो पर भी कुठाराघात करने मे कोई कसर नही छोडी है.
उन्होंने रविवार को सिवनी के उड़पानी गांव में आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में पीसीसी चीफ कमलनाथ की मौजूदगी में कहा, ‘बजरंग दल, आरएसएस और ये राम सेना के लोगों ने आदिवासियों को मारा है, वह बजरंगबली की बात करते हैं. बजरंगबली आदिवासी हैं. वे जंगल में रहते थे. उन्होंने भगवान राम की रक्षा की. उनकी सहायता की. वहां पे कोई करणी सेना नहीं गई. क्षत्रिय नहीं गए. ब्राह्मण की सेना नहीं गई.’
‘वहां पर अगर किसी ने भगवान राम की कोई मदद की है, तो वो आदिवासियों ने की है. हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर कोई हमारे बजरंगबली, जो आदिवासी हैं, उनका कोई अपमान करेगा. उनका नाम लेकर सड़क पर उतरेगा, उनको बदनाम करेगा, तो आदिवासी समाज उसको छोड़ेगा नहीं.’
हनुमान जी किस जाति के थे
यहा हम आपको बता दे की जो हमारे शास्त्रों का मत है उस हिसाब से हनुमान जी परमात्मा के रूप मे भगवान शिव कै अंश है वे अजर अमर है. चूँकि हनुमान जी स्वयं परमात्मा है अतः वे जात पांत से उपर है अर्थात उनकी प्रथक से कोई जाति नही है.
संतो और भक्तो की कोई जाति नही होती
अगर आपका अर्थ जाति से मतलब की वह किस टाइप से थे तो वह वानर जाति के थे पर यहां जाति का अर्थ राजपूत बनिया ब्राम्हण और एससी एसटी नही है. जातिवाद का कोई भी सिद्धात रामायण मे नही मिलता और न ही रामायण जातिवाद जैसे रीति रिवाज को समर्थन देती है.
भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने शबरी के बैर खायें भीलो से दोस्ती की वानरों से दोस्ती की राक्षसो से दोस्ती की यह साबित करता है की भगवान राम मानवता वादी थे और वे सभी मे सर्व शक्ति शाली ईश्वर की छाया देखते थे और हर हिंदू को श्रीराम जैसे ही हर व्यक्ति मे ईश्वर को देखना चाहिये और जातिगत घृणा को त्याग देना चाहिये.
शिव के अवतार है हनुमान जी
हनुमान जी सप्त चिरंजीवी मे से एक है अतः सवाल यह होना चाहिये की हनुमान जी ताकत कितनी है क्योकि हनुमान जी एक मनुष्य नही है वे भगवान शिव के अवतार है अतः उनकी शक्तिया भी उसी तरह अंनत है जिस तरह की परमेश्वर की शक्तिय अंनत है और यही कारण है की उनकी शक्तियो की झलक हमे हनुमान चालीसा मे देखने को मिलती है।
हनुमान जी वायू देव के पुत्र थे इस लिये उन्हे पवन पुत्र के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है भगवान हनुमान के नाम को लेकर हर जगह राजनीति हो रही है राजनीति मे अहम मुद्दो को छोडकर जैसे कई बिजली पानी रोटी रहन सहन की जरूरतो को दर किनार करके लोग हनुमान जी धर्म और जाति पर बाते बना रहे है और ऐसा ही कुछ नजारा बरघाट विकास खंड के उडेपानी मे देखने और सुनने को मिला जहा विधायक अर्जुन ने हनुमान जी को जातिगत समीकरण से जोडकर राजनीति मै नया तूल दे दिया है.
हनुमान जी के नाम को भी धर्म की राजनीति के चलते किया जा रहा है इस्तेमाल
धिक्कार है ऐसी राजनीति को जो अपने स्वार्थ के लिये इश्वर को भी नही बख्श रहे है और तरह तरह के बयान देकर अमन शान्ति के माहोल मै जहर घोलने का प्रयास कर रहे है हनुमान जी की जाति क्या है को लेकर तरह तरह के बयान आते रहे है जिसमे उत्तर प्रदेश के केबिनेट मंत्री ने हनुमान जी को जाट बताते हुऐ कहे था की हनुमान जी से बडा कोई नही हम सब हनुमान जी संतान है हनुमान जी लेकर पहले भी यह विवाद मीडिया की सुर्खिया बन चुका है तब केबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 21 दिसमबर 2018 को भाजपा एम एल सी बुक्कल नवाब के हनुमान जी को मुसलमान कहे जाने पर मीडिया से कहा था हनुमान जी मुस्लिम कहने वाले अल्प ञानी है ञेतायुग मे जब इस्लाम था ही नही तो हनुमान जी मुस्लिम कैसे हो सकते है.
यहा यह बताना जरूरी है की इस विवाद की शुरूआत तब हुई थी जब 2018 मे सीएम योगी ने राजस्थान मे एक चुनाव सभा मे हनुमान जी को दलित बताया गया था और इसके बाद भी बडा विवाद उत्पन्न हुआ था और तभी बुक्कल नवाब ने भी कहा था की हनुमान मुसलमान थे और दावा किया गया था की मुसलमानो मे जो नाम रखे जाते है जैसे रहमान रमजान फरमान जीशान और कुर्बान वह करीब करीब उन्ही पर रखे जाते है.
हालांकि शास्त्रो मे हनुमान चालीसा मे हाथ बजृ औ ध्वजा बिराजे कांधे मूज जनेउ साजे के आधार पर उन्हे ब्राम्हण तक बताया गया है. यहा यह बताना भी जरूरी है वर्तमान मे जो युग चल रहा है उसे कलयुग नाम शास्त्रो के आधार पर दिया गया है और हनुमान जी को अमरता का बरदान प्राप्त है इस हिसाब से हनुमान जी कलयुग मे साक्षात रूप मे विद्यमान है और शास्त्रोक्त के आधार पर हनुमान जी का निवास रामेश्वरम गंधमादन पर्वत जो की कैलाश पर्वत पर स्थित है.
अब हमारे नेता जी राजनैतिक मंच सै उनकी जाति का विश्लेषण कर विवाद करने की बजाय दिल से आराधना कर उनके निवास ही जाकर यह जानने की कोशिश करे की वे किस समुदाय के है हालाकि सनातन धर्म मे उन्हे भगवान मानकर प्रत्येक भक्त और उनके अनुयायी उनकी आराधना तथा पूजा करते जिसमे कोई जातीय भेद नही होता है वही हमारे नेता यह मंच सै खुले मे क्यो नही कहते की राम शिव कृष्ण हनुमान हमारे है और हम उनके क्यो जातीय भेद उत्पन्न कर अशान्ति का माहोल अपनी राजनैतिक रोटी सेकने के लिये कर रहे है समझ से परे है जिसका जवाब उन्हे आने वाले समय मे मिलना निश्चित है