सिवनी, धारनाकला (एस. शुक्ला): समर्थन मूल्य पर किसानो के द्वारा बेची गई धान का भुगतान अभी भी सैकडो किसानो के खातो मे नही आया है. जिससे अन्नदाता किसान आये दिन लगातार बैक के चक्कर लगा लगा कर थक चुके है. जबकि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य माह जनवरी मे ही हो चुका है और जिले के समस्त खरीदी केन्द्रो से धान का परिवहन गोदामों मे हो चुका है.
एक तरफ सरकार सात दिवस मे किसान को भुगतान को दावा करने से नही थकती वही दूसरी तरफ आज भी किसानो का धान का भुगतान किसानो के खाते मे नही आया है.
धान के सारटेज के कारण नही हो रहा है भुगतान
जब इस सम्बंध मे विभागीय अधिकारियो से जानकारी ली गई तो बताया गया की जिन समितियो ने धान खरीदी की और लम्बा सारटेज धान की घटी आई है. उन समितियो मे किसानो का धान का भुगतान रोका गया है और किसानो को भुगतान नही हो पा रहा है जिस पर समितियो से वसूली की कार्रवाई की जा रही है.
किसानो का क्या दोष
उल्लेखनीय है की अन्नदाता किसानो के द्वारा शासन की रीति नीति के तहत खरीदी केन्द्र मे धान बेची गई है जिसका भुगतान उसे शासन के मापदण्ड के अनुसार होना चाहिये किन्तु किसान को उसका भुगतान नही हो रहा है. जबकि खरीदी केन्द्र मे किसान द्वारा धान बेचे जाने पर उसका भुगतान आनलाइन दर्ज हो जाता है.
उसके खाते मे भुगतान आ जाता है किन्तु सिवनी जिले मे ठीक इसके विपरीत चल रहा है इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है किसानो के हित का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार की छत्र छाया मे किसान कितना खुशहाल है यह हकीकत मे और कागजो मे देखा जा सकता है.
एक दूसरे पर आरोप, पर किसानो की सुध किसी को नही
जहा किसानो के लम्बित भुगतान को लेकर सम्बंधित विभाग धान खरीदी समिति पर आरोप लगा रहे है वही दूसरी तरफ थाना प्रभारी बरघाट को दिये गये स्पष्टीकरण मे समिति ने उल्लेख किया है की समिति मे की गई धान के परिवहन नियत बोरीयो करा दिया गया है तथा समिति मे कोई भी स्कन्ध शेष नही है एवं परिवहन की गई धान के एजेंसी के द्वारा स्वीकृति पत्रक भी जारी किये जा चुके है.
संस्था एवं mpscsc के मध्य धान खरीदी के अनुबन्ध अनुसार संस्था द्वारा क्रय की गई धान रेडी टू ट्रांसपोर्ट होने के 72 घन्टे के भीतर परिवहन कर्ता द्वारा परिवहन करने हेतू अनुबंधित है.
चूकि परिवहन कर्ता के द्वारा आर टी टू होने के लगभग 10 से 15 दिनो के बाद ही परिवहन कर्ता के द्वारा धान का परिवहन कराया गया है जिस कारण से विधिवत मात्रा मे बोरियो मे रखी धान मे सोख आई है.
अनुबन्ध अनुसार सम्पूर्ण धान की घटी सोख की जवाबदेही परिवहन कर्ता की है समिति की नही तथा धान उपार्जन मे कृषक को धान की राशि का भुगतान करने का अधिकार समिति को नही है चूकि कृषक का भुगतान जी आई टी पोर्टल के माध्यम से mpscsc द्वारा किया जाता है संस्था के द्वारा नही कृषकों से कृय की गई धान धान का सम्पूर्ण परिवहन एजेंसी को करा दिया गया है संस्था के पास कोई भी स्कन्ध शेष नही है.
केकड ई के कृषक करेगे आन्दोलन
उल्लेखनीय है खरीदी केन्द्र केकडई मे प्रगती स्व सहायता समूह कुरई के द्वारा धान खरीदी का कार्य किया गया था और यहा के भी दर्जनो किसानो का लाखो रूपये का भुगतान किसानो को नही मिला है. इस सम्बंध मे केकडई सरपंच जितेन्द्र गौतम ने बताया की हमारे द्वारा जिला कलेक्टर महोदय को भी आवेदन किया गया है तथा हम किसानो के साथ थाने मे भी शिकायत करने के बाद आन्दोलन का रास्ता इख्तियार करेगे ताकि हम किसानो का धान का भुगतान हो जाये
यहा यह बताना भी लाजिमी है की सम्बंधित विभाग द्वारा आज जिस तरह से नियमो को कडाई से लागू किया जा रहा वही दूसरी तरफ इसके पूर्व के समय मे क्यो ध्यान नही दिया गया जबकि इसके पूर्व की बात करे तो लाखो से करोडो रूपये के फर्जीवाड़ा भी सामने आयेगा वही दूसरी तरफ मध्य प्रदेश और केन्द्र सरकार महिलाओ पर फोकस कर आत्म निर्भर बनाने के प्रयास कर रही है वही दूसरी महिला समूह के हाथो मे धान खरीदी तथा गेहू खरीदी का दायित्व भी सौपा जा रहा है
किन्तु हकीकत पर नजर डाले तो इसमे भी राजनीती के ग्रहण लग चुका है चूकी अब उनही महिला समूहो को इस कार्य की बागडोर सौपी जाती है जो राजनीती से जुडे है और यही कारण है की लगातार राजनैतिक छेत्र से जुडे लोग जो पावर रखते है
वे महिला समूह तैयार करते नजर आने के साथ खरीदी केन्द्रो को हथियाने मे अहम भूमिका अदा करते हुऐ एक नही अपितु दो से तीन खरीदी केन्द्र भी राजनैतिक पकड और दबाव के नियम कानून को हासिये पर रख मनमानी करते नजर आ रहे है और यही कारण है जो वास्तविक मे महिला समूह वर्षो से संचालित है.
वे घर मे बैठे है तथा एक वर्ष की अवधि वाले महिला समूहो को धान और गेहू खरीदी से नवाजा जा रहा है. क्या जिले के संवेदनशील जिला कलेक्टर इस ओर बारीकी से ध्यान देंगे.