सिवनी-धर्म पालन में सत्य का आचरण करना एक प्रमुख अंग है श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन पूज्यपाद tv दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती जी ने बताया कि धर्म का पालन करना चाहिए अमरीश ने एकादशी व्रत में पारण करने के लिए ऋषि दुर्वासा को संतुष्ट करते हुए अपने संकल्प को पूरा करते हैं अतः भगवान ने राजा अंबरीष की रक्षा की एकादशी व्रत का तात्पर्य 5 ज्ञानेंद्रिय 5 कर्मेंद्रिय और मन इन 11 इंद्रियों से भगवान की सेवा करना ही एकादशी का व्रत कहलाता है गंगा कथा की उत्पत्ति को सार पूर्ण बतलाते हुए की गंगा का जल अमृत समान होता है यदि अंतिम समय में मिल जाए तो व्यक्ति का मोक्ष हो जाता है कथा को आगे बढ़ाते हुए राम जन्म की कथा को बहुत ही सरल शब्दों में निरूपण किया दशरथ की तीन रानियां है और वह पुत्रेष्टि यज्ञ करते हैं भगवान स्वयं आकर यज्ञ की चरु में आकर बैठ जाते हैं रानियों ने उसे ग्रहण किया और फिर कौशल्या माता ने भगवान राम को जन्म दिया चारों तरफ आनंद ही आनंद छा गया कथा आचार्य हितेंद्र शास्त्री ने भगवान राम की जोरों से स्तुति की साथ ही पूजन संपन्न कराया तत्पश्चात पूज्य स्वामी जी ने भगवान कृष्ण के अवतार की कथा सुनाएं यदुवंश में भगवान का अवतार हुआ है अवतार लेते ही कारागर के दरवाजे खुल गए बधाई गीत से चारों तरफ आनंद ही आनंद छा गया कथा के यजमान द्वारा व्यास पीठ पर विराजमान स्वामी जी को माला पगड़ी लगाकर स्वागत किया गया खिलौने मिष्ठान वस्त्र नृत्य गीत आदि से चारों तरफ मानो वृंदावन जैसा वातावरण चारों तरफ भक्ति में माहौल हो गया कल माखन चोरी की कथा होगी एवं कथा का समापन 29 एवं भंडारा 30 को होगा