सिवनी: कृषि विज्ञान केंद्र में रावे की छात्राओं ने जाना नैनो तकनीक से तैयार उर्वरकों को. कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल के मार्गदर्शन में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के अंतर्गत संचालित कृषि महाविद्यालय जबलपुर एवं बालाघाट की चतुर्थ वर्ष की 33 छात्रों को नैनो तकनीक से तैयार उर्वरको का वर्तमान कृषि में किस तरीके से उपयोग हो रहा है.
और भविष्य में यह तरल नैनो उर्वरक खेती में क्रांतिकारी इनपुट के रूप में उपयोग किए जाएंगे पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गई साथ ही ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) के अंतर्गत 6 माह तक कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों के खेतों में खेती किसानी के व्यावहारिक गुण एवं तकनीकी जानने हेतु भेजा गया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में इफको के अधिकारी श्री अनिल बिरला जी द्वारा बताया गया कि नैनो फर्टिलाइजर योजना कब शुरू हुई, इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड) ने किसानों के लिए अपना नैनो लिक्विड यूरिया 31 मई 2021 को लॉन्च किया गया था। यह दुनिया का पहला नैनो लिक्विड यूरिया है।
नैनो-उर्वरक फसल पोषण और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए एक टिकाऊ प्रौद्योगिकी के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। इस दौरान श्री अनिल बिरला ने नैनो उर्वरकों का प्रक्षेत्र पर कैसे उपयोग करना है एवं सही मात्रा प्रति एकड किस प्रकार से तैयार की जानी चाहिए।
नैनो उर्वरक क्या होते हैं नैनो उर्वरकों की वर्तमान में आवश्यकता उपयोगिता एवं महत्व पर संपूर्ण जानकारी पावरपाइंट प्रस्तुति के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से प्रदान की गई। कृषि विज्ञान केंद्र के रावे कार्यक्रम के प्रभारी एवं मृदा वैज्ञानिक डॉ. के. के. देशमुख प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के माध्यम से नैनो उर्वरकों के उपयोग विषय पर किसानों के अनुभव एवं उपयोग संबंधित जानकारी प्रदान की, उद्यानकी विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ निखिल सिंह ने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी उर्वरकों के फॉर्म प्रक्षेत्र पर उपयोग करने एवं कृषकों के प्रक्षेत्र पर व्यावहारिक रूप से उपयोग करने हेतु छात्रों को सरल व बेहतर तरीके से समझने एवं सीखने हेतु प्रत्येक बिंदु पर जानकारी प्रदान की गई।
नैनो उर्वरकों का ड्रोन के माध्यम से सही उपयोग विषय पर इंजी. कुमार सोनी ने जानकारी दी। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. शेखर सिंह बघेल वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. के. के. देशमुख वैज्ञानिक, डॉ. एन. के. सिंह वैज्ञानिक, डॉ. राजेंद्र सिंह ठाकुर, इंजी. कुमार सोनी, डॉ. जी. के. राणा एवं समस्त रावे छात्राओं की उपस्थिति रही।
नैनो क्या है?
नैनो – एक उपसर्ग जिसका अर्थ हैरू बहुत छोटा या सूक्ष्म स्तर पर, जैसे कि नैनोट्यूब में। इस अर्थ में, इस उपसर्ग को कभी-कभी नैनो- के रूप में लिखा जाता है, जैसे कि नैनोप्लैंकटन में। एक अरबवाँ, जैसे कि नैनोसेकंड, एक सेकंड का एक अरबवाँ हिस्सा।
इफको नैनो यूरिया नैनो तकनीक पर आधारित एक क्रांतिकारी कृषि इनपुट है जो पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है। नैनो यूरिया स्मार्ट कृषि और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किसानों के लिए एक स्थायी विकल्प है। प्रकाश संश्लेषण को तेज करता है जिसके परिणामस्वरूप कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन का संश्लेषण बढ जाता है। क्लोरोसिस की तीव्रता को कम करता है।
पौधों की तनाव सहिष्णुता बढाता है। फसलों पर उपयोग हेतु नैनो यूरिया (तरल) के उपयोग की अनुशंसित दर – 20 प्रतिशत नाइट्रोजन सांद्र 2 मिली ध् लीटर पानी या 250 मिली/एकड ध् छिडकाव (नोटः125 लीटर पानी 1 एकड (0.4 हेक्टेयर) क्षेत्र में छिडकाव के लिए पर्याप्त है)