वर्तमान युग में अधिकांश लोग भूमि खरीदकर उस पर भवन बनवाने के झंझट में नहीं पड़ते बल्कि फ्लैट में रहना ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन चीनी वास्तुशास्त्र ‘फेंगशुई’ के सिद्धांतों के अनुसार, लाभकारी क्षेत्र में फ्लैट लेने के बावजूद फ्लैट में रहने वाले लोग अनेक समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। इसका कारण यह है कि फ्लैट में लाभकारी ऊर्जा ‘ची’ सक्रिय नहीं होती। ऐसी स्थिति में ‘ची’ को सक्रिय करके समस्त प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है।
उत्तर दिशा शांति और विश्राम से संबंधित है। यदि इस दिशा में शयनकक्ष स्थापित हो तो इस क्षेत्र को तीव्र प्रकाश, क्रिस्टल, विंड चाइम तथा व्यक्तिगत तत्व से जुड़ी वस्तुओं के उपयोग से सक्रिय किया जा सकता है। ऐसे में वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है।
उत्तर दिशा ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए भी उत्तम है। यदि यहां क्रिस्टल का प्रयोग किया जाए तो आत्मिक विकास, भविष्य निर्माण तथा मानसिक शांति में सहायता प्राप्त होती है।
उत्तर-पूर्व दिशा ज्ञान, प्रोत्साहन एवं उद्देश्य से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र को तीव्र प्रकाश और क्रिस्टल की सहायता से सक्रिय किया जा सकता है। इसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति अपने लक्ष्य और उद्देश्य को अच्छी तरह समझकर उसे पाने के लिए प्रयासरत हो जाता है। इस क्षेत्र की ‘ची’ व्यक्ति का ज्ञान बढ़ाने और उस दिशा में प्रोत्साहित करने में भी अत्यंत कारगर है।
पूर्व दिशा प्रेम, आशा और संतोष से संबंधित है। इस क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए वहां पर पवित्र पुस्तक, कांसे से निर्मित बच्चों के जूते तथा पुरानी लकड़ी का फर्नीचर स्थापित करें। ऐसे उपाय से इस क्षेत्र की ‘ची’ सक्रिय हो जाएगी। इसके फलस्वरूप परिवार में आपसी प्रेम, संतोष एवं सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पूर्व-दक्षिण दिशा धन और कलात्मक प्रवृत्ति से संबद्ध है। इस क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए यहां अधिक प्रकाश की व्यवस्था करनी चाहिए। क्रिस्टल के प्रयोग द्वारा भी लाभदायक ‘ची’ को आकॢषत करके प्रत्येक दिशा में परावर्तित कर सकते हैं। इससे धन मार्ग प्रशस्त होता है तथा कलात्मक प्रवृत्ति द्वारा भी धनार्जन होता है।
दक्षिण दिशा उत्साह, सफलता और सामाजिक यश से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए यहां प्रकाश की मात्रा बढ़ानी चाहिए। मिरर या क्रिस्टल का उपयोग करके भी इस क्षेत्र को सक्रिय बनाने में सहायता मिलती है। इस उपाय से व्यक्ति व्यापार आदि में काफी सफलता प्राप्त करता है, दिनों-दिन उसका उत्साह बढ़ता है और उसे समाज में यश की प्राप्ति होती है।
दक्षिण-पश्चिम दिशा शांति एवं व्यावहारिकता से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए यहां बड़े क्रिस्टल का प्रयोग करना चाहिए। प्रकाश की मात्रा बढ़ाने से भी काफी लाभ होता है। इससे परस्पर संबंध मजबूत बनते हैं, परिवार में शांति बनी रहती है तथा लोग स्वयं को सुरक्षित अनुभव करते हैं।
पश्चिम दिशा परस्पर प्रेम और परिवार की उन्नति से संबद्ध है। इस क्षेत्र की ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए यहां पर कृत्रिम प्रकाश का अधिक प्रयोग करना चाहिए। लाल रिबन द्वारा क्रिस्टल को बांधकर यहां लटका भी सकते हैं। इस उपाय से परिवार में व्यवहार कुशलता, प्रेम एवं उन्नति का विकास होता है।
उत्तर-पश्चिम दिशा जिम्मेदारी, योजना निर्माण एवं संगठन शक्ति से संबद्ध है। इस क्षेत्र को सक्रिय करने के लिए यहां एक क्रिस्टल लटकाएं और जीवन-दर्शन से जुड़ी कोई केंद्र दिशा, भौतिक, आत्मिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है। इस क्षेत्र को खुला एवं स्वच्छ रखने तथा क्रिस्टल का प्रयोग करने से इस क्षेत्र की ‘ची’ सक्रिय हो जाती है। इससे उपरोक्त समस्त क्षेत्रों में लाभदायक परिणाम प्राप्त होते हैं।