पत्रकारिता कि परिभाषा बदल कर रख दिये कुछ पत्रकारो ने आज देखा जा रहा है कि पत्रकारिता वो लोग कर रहे जो पहले से करोड़ पति है मगर अपने बिजनेस को छुपाने और काले कामो दबाने के लिए पत्रकारिता का चोला होठ रखे है भारत मे तो कुछ पत्रकार ऐसे है जो बडे बडे कलेज चला रहे है स्कूल चला रहे बडे बडे माल चला रहे कारखाने चला रहे बडे बडे नेताओ के पटनर बने बैठे है और इन सब बिजनेसो मे कोई बात ना आऐ इसलिए अखबारो के मालिक चैनलो के मालिक बन बैठे है और हम छोटे छोटे इमानदार पत्रकार इनकी टीआरपी बढाने मे एक दुसरे से बुराई ले रहे देखा जाता है कि चार पत्रकार अच्छे दोस्त है और एक साथ कही खडे होकर बात कर रहे है मगर एक पत्रकार के पास किसी का फोन आता है वो एक खबर बतता है तो वो पत्रकार बिना अपने पत्रकार भाईयो कुछ बताऐ हुऐ यह कहे कर निकल जाता है अभी आता हू कुछ देर बात उस पत्रकार कि बनाई हुई खबर टीवी पर आती है और साथ मे खडे वही तीन पत्रकार उसको बुरा भला बोलते है साले ने बताया नही और अकेला चले गया मतलब हम पहले खबर चलाने और दिखाने के चक्कर मे अपने ही दोस्ती कि मदद करने के बजाऐ ऊपर बैठे चैनल मालिक को खुश करने मे लगे है और एक दुसरे कि प्याज काटने मे लग जाते है खबर बनाने मे एक दुसरे कि टांग खीचते है मगर कभी हम अपने भाई का साथ नही देते हा कुछ पत्रकार भाई होगें जो सबको साथ लेकर चलते खबर बनाने मे मदद करते है मे सबको बुरा नही बोल रहा हू और आज हमारी हालत ऐसी हो गई है कि हमे आज मारा जा रहा फोनो मे धमकी दी जा रही है हमारे ऊपर अत्याचार हो रहा है और हम खमोश है आज देखा जाऐ तो आप कोट परिसर के अंदर किसी वकील से सिर्फ बत्तमीजी कर लिजिये गाली गलोज तो दूर कि बात है वहां सब वकील एकजुट होकर अपना काम बंद कर देते है और कलेक्टर आफिस पोहोच कर ज्ञापन भी दे देते है और एक दो घंटे मे कारवाई भी हो जाती है और बत्तमीजी करनेवाले थाने से जेल पोहोच जाता है यहां एक जुटता डाक्टर मे भी देखने को मिलती है वो भी अपना काम बंद करके एकजुट होकर कलेक्टर अंत्री मंत्री तक पोहोच जाते है ऐसे दो तीन विभाग है जहां एकजुटता देखी जा सकती है बस हम चौथा स्तंभ कहलाने वाले पत्रकार ही मंदिर का घंटा बने हूऐ है जो आता है बजा कर चले जाता है और हम एकजुट होने के बजाऐ एक दुसरे कि बुराई गाने मे लगे रहते है जहां तक हमे जान से भी मार दिया जाता है जिस दिन हम आवाज उठाना शुरू कर देगें तो कोई माई का लाल पैदा नही हुआ जो हम को आँख भी उठा कर देख ले मारना तो दूर कि बात है और भारत के साथ साथ मध्यप्रदेश कि सरकार से निवेदन करता हू कि पत्रकारो के हित मे भी कोई फैसला ले पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाऐ ताकि पत्रकार पूरी स्वंतत्रता के साथ खबर बना सके ..
पत्रकार एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जब मंच मे गरजे पत्रकारो पर….
Published on: