सफाई कर्मियों की हड़ताल अवैध ठहरायी सीएस ने
जिला चिकित्सालय की सफाई के लिये मनमाने तरीके से रखे गये सफाई कर्मियों की हड़ताल को अस्पताल के सिविल सर्जन (जिन्हें पद से हटाने शासन के द्वारा दिसंबर 2017 में आदेश जारी किया गया था) डॉ.आर.के. श्रीवास्तव ने अवैध करार दिया है।
शनिवार को जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ.आर.के.श्रीवास्ताव द्वारा जिला चिकित्सालय के सामने सफाई कर्मियों द्वारा की जा रही हडताल के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह हड़ताल पूरी तरह से अवैधानिक है।
उक्त संबंध में उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में निविदा शर्ताें के अनुरूप मेसर्स कॉमथेन सिक्योरिटी सर्विस को जिला चिकित्सालय की साफ सफाई व्यवस्था का कार्य सौंपा गया था, जिसे शासन के निर्देश के अनुसार 31 मार्च 2018 को बंद कर दिया गया था तथा जिला चिकित्सालय की सफाई व्यवस्था के मद्देनजर अगली व्यवस्था तक तत्कालीन मजदूरी दर पर मौखिक सहमति से कॉमथेन सिक्योरिटी सर्विस के कर्मचारियों को 15 जून 2018 तक कार्य पर रखा गया था। इसके लिये रोगी कल्यारण समिति द्वारा कोई भी अनुबंध पत्र व कार्यादेश जारी नहीं किये गये थे।
उन्होंने बताया कि विगत 14 जून को आयोजित हुई रोगी कल्याण समिति की बैठक में लिये गये निर्णय अनुसार आउटसोर्स के माध्यम से सफाई कर्मियों की व्यवस्था हेतु मेसर्स न्यू जय अम्बे सर्विस को कार्य दिया गया है तथा सफाई कर्मियों को माह अप्रैल, मई तथा 15 जून तक का सम्पूर्ण वेतन संबंधितों के खाते में जमा कर दिया गया है।
इस विज्ञप्ति में इस साल अक्टूबर माह में सेवा निवृत्त होने वाले सिविल सर्जन डॉ.आर.के. श्रीवास्तव के हवाले से यह नहीं बताया गया है कि 01 अप्रैल से 15 जून तक रखे गये सफाई कर्मियों की भर्त्ती के लिये क्या निविदा जारी की गयी थी। इसके अलावा क्या जय अंबे सिक्योरिटी को दिये गये सफाई के ठेके के संबंध में क्या निविदा आमंत्रित की गयी है, के बारे में भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है।
वहीं सफाई कर्मियों के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार उनको जब रोगी कल्याण समिति के द्वारा रखा गया था, तब उसके बाद उनका न तो पुलिस वेरीफिकेशन कराया गया था और न ही स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया गया था। इसी तरह वर्तमान में काम करने वाली सफाई एजेंसी के द्वारा भी कर्मचारियों का पुलिस वेरीफिकेशन और स्वास्थ्य परीक्षण अब तक नहीं कराया गया है।