किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
केवलॉरी: चुनाव पूर्व कांग्रेस पार्टी ने किसानों का हितैषी होने का ढोंग बखूबी किया और प्रदेश का किसान उनके झांसे में आ गए जिस प्रदेश में कांग्रेस अपने विधायक मोमबत्ती के प्रकाश में ढूंढती थी उसे प्रदेश की बड़ी पार्टी के रूप में चुन कर 114 विधायको को अपना बहुमत प्रदेश के किसानों ने दिया लेकिन इसे किसानों का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि सत्ता में आते ही प्रदेश सरकार जो कल तक किसान हितैषी थी अब किसानों की छाती में मूंग दल कर उनके खून की प्यासी नजर आ रही है प्रदेश के किसानों को न कर्ज माफी का लाभ मिला और न ही भावन्तर योजना का लाभ मिला , 18 घंटे बिजली देने के वादे भी सिफर है अब तो किसानों की मक्का की फसल समर्थन मूल्य के बाहर है । किसानों के सामने हालात इतने बदत्तर है अतिवृष्टि से फसलें चौपट हो गई है लेकिन प्रदेश की कमलनाथ सरकार अपनी झूठी तारीफों के कसीदे पढ़ने में मशगूल है , मजबूरन प्रदेश सरकार के नो महीने में ही किसानों को आंदोलन के रास्ते मे उतरने को मजबूर होना पड़ रहा है ।
मामला देश के अन्नदाता कहे जाने वाला वर्ग किसानों से जुड़ा हुआ है अक्सर यह देखा गया है कि जो भी पार्टी विपक्ष में रहती है तो वह किसान हितेषी रहती है किंतु सत्ता में आने के बाद ही ना जाने किस वजह से वह किसान विरोधी नीतियों को लागू कर किसानों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती नजर आने लगती है प्रदेश के किसान सरकार की इन्हीं किसान विरोधी नीतियों से परेशान होकर सिवनी जिले के किसानो नेे प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम केवलारी एसबीएम महोदय को अपना ज्ञापन सौंपा है एवं किसानों का कहना है यदि सम समय रहते सरकार द्वारा किसानों के हित में फैसले नहीं लिए जाते तो दिनांक 27/09/2019 दिन शुक्रवार को सभी किसान केवलारी चांदनी चौक में एकत्रित होकर तहसील प्रांगण केवलारी तक पैदल मार्च निकालेंगे एवं वहां पर दिनांक 1/10/2019 तक कृतिम हड़ताल करेंगे एवं इसके बाद भी मांग ना माने जाने पर दिनांक 2/10/2019 गांधी जयंती के अवसर पर जिले भर से हजारों की संख्या किसान जिला मुख्यालय की ओर कुच करेंगे एवं जिला कलेक्टर कार्यालय में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे । किसानों का कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार एवं राज्य की कांग्रेस सरकार की किसान विरोधी नीतियों से नाराज होकर किसान आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं ।
किसानों ने बताया कि दिनांक 27 सितंबर से 01 अक्टूबर तक केवलारी मुख्यालय में शांतिपूर्ण आंदोलन होगा एवं उक्त सभी मांग ना माने जाने पर दिनांक 02/10/2019 को देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती पर हजारों की संख्या में किसान जिला मुख्यालय सिवनी की ओर कुुच करेगे एवं जिला कलेक्टर कार्यालय में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे जिसके लिए सभी किसान तैयारी में जुट गए हैं एवं आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या लाने के लिए प्रयासरत नजर आने लगे हे । आपको बता दें कि जिले के किसानों ने यह निर्णय लिया गया है कि किसान आंदोलन पूर्ण तरह से दलगत रजनिति से परे रहेगा आंदोलन में सभी राजनीतिक दल के किसान भाग लेंगे एवं अपने हक की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे । उल्लेखनीय होगा कि इन दिनों प्रदेश का किसान दोहरी मार झेल रहे है एक तरफ प्रकृतिक आपदा के चलते अतिवृष्टि में किसानों की फसलों को भारी क्षति पहुंची है तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी का दंश भुगतते नजर आ रहे हैं ।
वक्त है बदलाव के नारे के साथ चुनाव में उतरी कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार के समय अपने आप को सबसे बड़ा किसान हितेषी होने का दंभ भर्ती नजर आती थी जिसके चलते कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रदेश के किसानों से अनेक वादे किए थे जैसे किसानों का 10 दिनों में 200000 रुपये तक का कृषि ऋण माफ कर दिया जाएगा ओर यादि ऐसा न कर पाये तो प्रदेश से का मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा,किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम दिया जाएगा,किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराई जाएगी,गेहूं का 160 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जाएगा इत्यादि दर्जनों वादे किए थे जिस पर भरोसा करके प्रदेश के किसानों ने 15 वर्षों से प्रदेश की सत्ता में काबिज शिवराज सरकार को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस पार्टी को प्रदेश की कमान सौंप दी जिसके परिणाम स्वरूप कमलनाथ जी ने प्रदेश की कमान संभाली एवं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया जिसके बाद प्रतीत होता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कुछ कांग्रेसी नेता किसानों से किये हुये वादे भूल कर किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम तो बहुत दूर की कौड़ी नजर आ रही है बल्कि उल्टा सरकार द्वारा किसान विरोधी नीतियां लागू की जा रही हैं जिसके चलते मक्का एवं सोयाबीन का समर्थन मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित तो कर दिया गया किंतु मक्का एवं सोयाबीन को ना ही भावंतर योजना में रखा गया है और ना ही मक्का एवं को सरकार के द्वारा सोसाइटी के माध्यम से खरीदा जा रहा है
जिससे किसानों एवं व्यापार जगत के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मक्के की खरीदी सरकार द्वारा नहीं की जाती तो किसानों का मक्के का बाजार में भाव सिर्फ 900 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक ही रह पाएगा जिससे पूरे प्रदेश के किसानों को अत्यधिक मात्रा में नुकसान उठाना पड़ेगा एवं ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश के किसानों को मक्के की खेती पर बचत के स्थान पर घाटा उठाना पड़ेगा जबकि इस बार किसानों ने अपने खेतों पर मक्का की फसल अत्यधिक मात्रा में लगाई धान एवं अन्य फ़सलो का ओसतन बेहद कम आएगा इसके बाद भी किसान विरोधी नीतियों के चलते प्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि किसानों के मक्के की फसल का ना ही भावंतर योजना से जोड़ा गया है और ना ही उसमें सोसाइटी के माध्यम से सरकार द्वारा खरीदा जाएगा आपको बता दें कि सरकार के इस फैसले से प्रदेश में के किसानों में आक्रोश का माहौल है एवं प्रदेश व्यापी एक बड़ा जन आंदोलन कर सड़कों पर उतरने की तैयारी की जा चुकी है किसानों का कहना है कि वह जब तक आंदोलन करेंगे जब तक सरकार द्वारा उनकी मांगें मान नहीं ली जाती अब देखना होगा कि देश प्रदेश की सरकार किसान हित में फैसला लेती है या किसानों को निराश करती है यह तो समय की गर्त में छिपा है ।
किसानों की यह है प्रमुख मांगे है
किसानों के द्वारा मांग रखी गई है कि मक्का एवं सोयाबीन के उचित दाम मिलना जिसके लिए मक्का एवं सोयाबीन का रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) करवाया जाए एवं प्रदेश सरकार को किसानों की मक्के की फसल को उपार्जन केंद्रों के माध्यम से खरीदा जाना चाहिए, राज्य की कमलनाथ सरकार द्वारा किसानो से जो गेहूं का 160 रुपये प्रति क्विंटल देने का जो वादा किया गया था उस समय रहते पूरा किया जाए , राज्य की कमलनाथ सरकार ने अपने चुनावी वादे में मध्य प्रदेश के किसानों का 200000 रुपए तक का कृषि ऋण सरकार बनते ही 10 दिनों में माफ करने का वादा किया था अतः उस वादे को पुरा किया जाए एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपनाई जा रही अनियमितताएं को दूर किया जाए एवं किसानों को फसल में होने वाले नुकसान पर बीमा क्लेम की राशि दी जाए, कृषि वर्ष 2017 में ओलावृष्टि से रबी फसलों में हुई भारी क्षति का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजन के अंतर्गत बीमा क्लेम की राशि किसानों शीघ्र दिलाई जावे,आगामी रवि सीजन में सिंचाई कार्य हेतु किसानों को कम से कम 18 घंटे आवश्यक वोल्टेज के साथ अनावृत विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जावे, ऐसी अनेक समस्याओं को लेकर किसान आंदोलन का रास्ता अपना रहे है ।