ग्राम पंचायत धारनाकला में खसरा नंबर 949/1 में बने शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के शासकीय कमरों का दुरुपयोग सामने आने के बाद अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम बरघाट) के आदेश पर पटवारी हल्का नंबर 39 द्वारा मौके पर जाकर जांच कर पंचनामा तैयार किया गया है। यह कार्रवाई ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा की गई शिकायत के आधार पर की गई, जिसमें यह आरोप था कि इन शासकीय कमरों का उपयोग व्यवसायिक गतिविधियों की बजाय निजी भंडारण कार्यों के लिए किया जा रहा है।
जांच में कमरों में मिला सीमेंट: शासकीय उपयोग की जगह बना निजी गोदाम
जांच के दौरान यह पाया गया कि जिन कमरों को दुकानों के संचालन के लिए वर्ष 2018-19 में किराये पर दिया गया था, उनमें दुकानें नहीं खोली गईं, बल्कि उनमें सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री को संग्रहित किया जा रहा है। पटवारी की रिपोर्ट के अनुसार, तीन कमरों में सीमेंट भरा हुआ मिला, जबकि हाई स्कूल की बाउंड्री से सटे क्षेत्र में सीमेंट शीट्स व अन्य सामान भी पाया गया।
एसडीएम के निर्देशानुसार, सरपंच, सचिव एवं पंचों की उपस्थिति में पंचनामा तैयार कर संबंधित व्यक्तियों को तीन दिवस के भीतर कमरे खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि निर्धारित समयावधि में कमरे खाली नहीं किए गए, तो पंचायत द्वारा ताला बंदी की कार्रवाई की जाएगी।
किन व्यक्तियों को आवंटित थे कमरे?
वर्ष 2018-19 में ग्राम पंचायत धारनाकला ने जिन व्यक्तियों को ये दुकानें संचालन हेतु किराये पर दी थीं, उनके नाम इस प्रकार हैं:
- दुलम सिंह टेकाम
- कुशमन मेश्राम
- खेलेंद्र राहंगडाले
- गीता बोपचे
हालांकि, इन व्यक्तियों ने न तो अपनी दुकानें प्रारंभ कीं और न ही कमरे वापस पंचायत को लौटाए। इसके विपरीत, इन कमरों को अन्य व्यक्तियों को उपयोग के लिए दे दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शासकीय संपत्ति का निजी लाभ के लिए उपयोग किया गया।
पांच वर्षों से किराया जमा नहीं: पंचायत को आर्थिक हानि
यह अत्यंत चिंताजनक है कि गत पांच वर्षों से इन कमरों का किराया पंचायत को प्राप्त नहीं हुआ है। इसका मतलब है कि पंचायत को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा लाखों रुपये की लागत से निर्मित शासकीय संपत्ति का गलत उपयोग होता रहा है, जो कि प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।
पंचायत द्वारा आवंटित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का उद्देश्य था कि स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले, परंतु इसका गोदाम के रूप में उपयोग गंभीर अनुशासनहीनता और भ्रष्ट प्रशासनिक रवैये की ओर इशारा करता है।
शासकीय यंत्रणा की निष्क्रियता और जिम्मेदारी
यह पूरा मामला शासकीय तंत्र की निष्क्रियता का प्रतीक है। पटवारी की जांच में यह तथ्य स्पष्ट हो गया कि कमरों का वास्तविक उद्देश्य पूरा नहीं हो सका, और स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमित निगरानी नहीं की गई। यदि समय-समय पर निरीक्षण होता, तो शायद यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
अब जबकि एसडीएम के आदेश पर जांच और पंचनामा हो चुका है, उम्मीद की जा रही है कि संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी और शासकीय परिसंपत्तियों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
यात्री प्रतीक्षालय का भी हो रहा है दुरुपयोग
पंचनामा के दौरान यह भी उल्लेखित हुआ कि कॉम्प्लेक्स परिसर में निर्मित यात्री प्रतीक्षालय का भी लंबे समय से कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है। वहां न तो यात्रियों के लिए कोई सुविधा है और न ही स्वच्छता की व्यवस्था। यह प्रतीक्षालय अब अनाधिकृत रूप से उपयोग में लिया जा रहा है, जो कि शासकीय सम्पत्ति का सीधा दुरुपयोग है।
पंचायत द्वारा आगे की कार्रवाई की तैयारी
ग्राम पंचायत धारनाकला अब इस पूरे प्रकरण में सख्त कार्रवाई की दिशा में कदम उठा रही है। कमरों को खाली कराने, किराया वसूलने, और अनाधिकृत उपयोग करने वालों के विरुद्ध नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो पंचायत ताला बंदी कर सकती है और विधिक कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से पूर्व के सरपंचों और सचिवों की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं। यदि पंचायत द्वारा दिए गए कमरों की निगरानी समय पर होती और किराया वसूली की प्रक्रिया ठीक से चलती, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। इससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्व पंचायती कार्यकाल में गंभीर लापरवाही बरती गई।
भविष्य की नीति: पारदर्शिता और जवाबदेही आवश्यक
इस प्रकरण से यह सीख मिलती है कि शासकीय संपत्ति के उपयोग और किराये पर दिए जाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं निगरानी अत्यंत आवश्यक है। पंचायतों को चाहिए कि वे सभी आवंटन सार्वजनिक सूचना बोर्ड पर प्रदर्शित करें, किरायेदारों से वार्षिक अनुबंध पर हस्ताक्षर कराएं तथा समय-समय पर निरीक्षण दलों द्वारा जांच कराएं।
यह भी आवश्यक है कि भविष्य में शासकीय परिसंपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि पंचायत को आर्थिक लाभ हो और स्थानीय नागरिकों को रोजगार के अवसर प्राप्त हों।