बरघाट के धारनाकला में श्रावण मास में राधे कृष्ण मंदिर में शिव नाम की गंगा

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बरघाट के धारनाकला में श्रावण मास में राधे कृष्ण मंदिर में शिव नाम की गंगा

सिवनी, बरघाट (एस. शुक्ला): श्रावण मास हिन्दू कैलेंडर का अत्यंत महत्वपूर्ण महीना है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह महीना भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए विशेष माना जाता है, जो हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। श्रावण मास की शुरुआत सावन की पूर्णिमा से होती है और यह पूरे महीने भर चलता है, जिसमें प्रत्येक दिन भगवान शिव के भक्त विशेष अनुष्ठान और पूजाएं करते हैं।

श्रावण मास में व्रत और पूजा

श्रावण मास के दौरान विशेष रूप से मंगलवार को उपवास रखा जाता है, जिसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। इस दिन महिलाएँ भगवान शिव और माँ गौरी की पूजा बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ करती हैं। मंगला गौरी व्रत के दौरान, महिलाएं अपने घरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान करती हैं, जिससे उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनका जीवन खुशहाल होता है। इस व्रत को करने से उन्हें सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।

भजन-कीर्तन की महिमा

श्रावण मास में भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है। भक्त इस दौरान विभिन्न भजनों और कीर्तनों के माध्यम से भगवान शिव की आराधना करते हैं। भजन-कीर्तन के माध्यम से भक्त भगवान शिव की दिव्य शक्तियों को महसूस करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति प्राप्त करते हैं। राधे कृष्ण मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर, विशेष रूप से महिलाओं द्वारा, प्रतिदिन भजन-कीर्तन आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भगवान शिव के नाम का स्मरण किया जाता है।

पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए श्रावण मास में व्रत और तपस्या की थी। इस पवित्र माह में की गई तपस्या और व्रत के कारण भगवान शिव को यह महीना अत्यंत प्रिय है। यह भी मान्यता है कि श्रावण मास के दौरान भगवान शिव धरती पर आए थे और अपने ससुराल गए थे। यही कारण है कि इस मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।

राधे कृष्ण मंदिर में शिव नाम की गंगा

कलयुग में नारी शक्ति ने धर्म के प्रति अपनी आस्था और अनुशासन को प्रमाणित किया है। इसी कारण, राधे कृष्ण मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर महिलाएँ प्रतिदिन भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना कर रही हैं। इस दौरान भगवान शिव के नाम का उच्चारण करके, महिलाएँ पुण्य लाभ प्राप्त करती हैं। श्रावण मास के प्रत्येक दिन, महिलाएँ रामायण के पांच और ग्यारह दोहा-चौपाई का स्मरण करती हैं और फल-फूल तथा प्रसाद का वितरण करती हैं। यह न केवल उनकी श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भगवान शिव के प्रति उनकी भक्ति का भी प्रमाण है।

श्रावण मास के अनुष्ठान और प्रभाव

श्रावण मास के दौरान, विभिन्न अनुष्ठानों और धार्मिक क्रियाकलापों का आयोजन किया जाता है, जिनमें विशेष ध्यान रखा जाता है कि भक्त पूरी निष्ठा और श्रद्धा से इन क्रियाकलापों को निभाएं। इस महीने में भगवान शिव की पूजा से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। व्रत और उपवास के माध्यम से भक्त अपने जीवन की परेशानियों से उबरने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने की आशा रखते हैं।

श्रावण मास भगवान शिव की आराधना और पूजा का विशेष समय है, जिसमें भजन-कीर्तन, व्रत, और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। यह महीना भक्तों के लिए भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। राधे कृष्ण मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर किए जा रहे भजन-कीर्तन और पूजा-अर्चना की प्रक्रिया इस बात को प्रमाणित करती है कि श्रद्धा और भक्ति से भरा यह महीना सभी के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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