सिवनी । गणेश चतुर्थी पर शहर सहित गाँवों में गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसकी तैयारी में शह के मूर्तिकार जुटे हुए हैं। इस बार भी कई मुद्राओं में भगवान विघ्नहर्ता नजर आयेंगे। शहर के साथ आसपास गाँव में मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुटे हैं।
नगर के दादू धर्मशाला में प्रतिमाओ को आकार देने वाले मूर्तिकार श्री दिनेश ठाकुर ने बताया कि पहला पर्व पोला और इसके बाद गणेश उत्सव पर्व के चलते बैल नादिया समेत गणेश प्रतिमा बनाने का कार्य शुरू है।
वही नन्हे कलाकार विधान ठाकुर ने बताया की मूर्ति बनाने के लिये सबसे अट्टछी मिट्टी बरघाट क्षेत्र हिर्री नदी के आसपास की मानी जाती है। उक्त मिट्टी के उपयोग से मिट्टी के सूखने के बाद मिट्टी में दरार नहीं आती है। वहीं उन्होंने शासन-प्रशासन से माँग की है कि कुम्हारों को आसानी से मिट्टी मिल सके इसके लिये व्यवस्था बनाने की माँग की है। कई बार मिट्टी की खुदाई के दौरान विभाग के लोग मिट्टी नहीं खोदने देते हैं इससे कुम्हार व मूर्तिकारों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
पर्यावरण की दृष्टि से पीओपी मूर्ति बनाने, बेचने पर कार्यवाही के चलते अब जिले भर के मूर्तिकार मिट्टी की प्रतिमा बनाने लगे हैं। इस मामले में मूर्तिकारों का कहना है कि पीओपी की मूर्तियां बाहर से बनकर आती हैं। वहीं सांचे से बनाई जाने वाली मूर्तियों में उतनी सफाई नहीं होती जितनी कि हाथ से बनाने में।
विधान ने यह भी बताया कि मूर्ति की कीमत में बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन इस बार निर्माण सामग्री की कीमत जरूर बढ़ी है। बड़ी मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों ने बताया कि बांस भी डिपो से नहीं मिलते हैं इससे बांस अन्य जगह से खरीदना पड़ रहा है। इससे परेशानी बढ़ गयी है। मूर्तिकार पोला पर्व के चलते मिट्टी के बैल नादिया, लक्ष्मी दहथिया) पूजा के लिये मिट्टी के हाथी भी गणेश प्रतिमाओं के साथ-साथ बना रहे हैं। मूर्तिकार श्री दिनेश ठाकुर ने बताया कि इस साल गणेश पूजा 2 सितम्बर से शुरू होगा। गणेश प्रतिमा शहर समेत गाँव में अधिकांश घरों में बिठाई जाती है जिसके चलते अभी से मूर्तिकार गणेश की प्रतिमा में जुट गये हैं।