सिवनी-भागवत की आवश्यकता क्यों पड़ी व्यास जी अनेक पुराणों के लिखने के बाद भी निराश होकर सरस्वती नदी के तट पर दुखी मन से बैठे थे नारद जी ने आकर समझाया तब व्यास जी ने परंपरा से प्राप्त चार श्लोकी की भागवत का विस्तार कर दिया पूज्य स्वामी जी ने महाभारत की चर्चा करते हुए परीक्षित जन्म की कथा सुनाई तत्पश्चात राजा परीक्षित अपने राज्य का पुत्रवत पालन करने लगे पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आज के राजा अर्थात नेता विकास तो करते हैं लेकिन धर्म का आचरण नहीं करते इसीलिए गौ मांस में निर्यात में भारत का प्रथम स्थान है केंद्र सरकार को इस में प्रतिबंध लगाना चाहिए केवल गाय ही नहीं किसी भी जीवकी हिंसा नहीं होना चाहिए परीक्षित जंगल में भ्रमण करते हुए एक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प ड़ाल दिया हैं और यही गलती परीक्षित के पतन का कारण बना अतः मनुष्य को राजाओं को प्रत्येक कार्य बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए राजा के पद में रहकर भी धर्म की रक्षा एवं आचरण करना चाहिए जिससे मनुष्य जन्म सफल होता है परीक्षित श्रापित होकर गंगा तट में आए और ऋषि-मुनियों से शंका समाधान करने लगे परीक्षित ने सुखदेव जी से पूछा मुनिराज मनुष्य जीवन में क्या करना चाहिए एवं जिसकी मृत्यु निकट आ जाए उसे क्या करना चाहिए सुखदेव जी इन्हीं दो प्रश्नों का उत्तर देते हैं यही भागवत है । परीक्षित राजा द्वारा समाज के हित के लिए प्रश्न पूछा अतः व्यक्ति को हर समय समाज का हित करने का विचार करना चाहिए यही भागवत का उद्देश्य है आज नर्मदा जयंती के अवसर पर पूज्य स्वामी जी ने नर्मदा महात्मा की कथा सुनाई कथा के पूर्व यजमान परिवार द्वारा पूज्य दंडी स्वामी जी का पूजन संपन्न हुआ एवं भजन गंगा प्रवाहित रही इस अवसर पर क्षेत्र के अनेक धर्म अनुरागी एवं बुद्धिजीवी विद्वान ब्राम्हण सारगर्भित कथा श्रवण करने के लिए आसपास से पहुंच रहे हैं आयोजक ने अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर धर्म लाभ लेने की अपील की है.
गौमांस की बिक्री पर रोक लगाए केंद्र सरकार-सदानंद जी
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