सिवनी-सिवनी जिले के लिए गौरव की बात है कि यहाँ जगद्गुरु शंकराचार्य की जन्मस्थली तो है ही, साथ ही यहां बैनगंगा नदी की पावन उद्गम स्थली भी है, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि विगत दिवस एक स्थानीय अखबार के मुताबिक बैनगंगा छिंदवाड़ा से होकर जबलपुर जाना बताई गई है जो सर्वथा निंदनीय है और इसकी हम निंदा करते है ।बैनगंगा सिवनी जिला की प्राण दायनी है सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड एवम क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय भोपाल द्वारा हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमे बताया गया है कि सिवनी जिला बैनगंगा का उद्गम स्थल नही है जो गलत है । बोर्ड या ऐसी कोई संस्था भ्रामक जानकारी नही देनी चाहिए, और शोधार्थियों को भी इस तरह कि शिक्षा नही दी जानी चाहिए, यह बात जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद जी महाराज के कृपा प्राप्त शिष्य ब्रम्हचारी निर्विकल्प स्वरूप जी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कही, आपने कहा कि जहां तक शास्त्र की बात की जाए तो बेनगंगा कोई सामान्य नदी नही है जिसकी इस तरह से उपेक्षा की जाए बेनगंगा पुण्य सलिला नदियों में गिनी जाती है और इसका भी अपना पौराणिक महत्व है।कुछ साल पहले शंकराचार्य जी के आदेश से हमें इस पुण्य सलिला नदी के किनारे पैदल भ्रमण करने का अवसर हमें प्राप्त हुआ था गुरु जी के आदेश से बेनगंगा का शास्त्रीय महात्म्य एक लेख लिखा था जिस पर पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है उसमे वर्णन है कि मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के गोपालगंज नामक छोटे से कस्बे से पूर्व की लगभग 5-6 किमी दूर परतापुर नामक गाँव है वहाँ एक कुंड है जिसे लोग मुंडारा नाम से जानते है वहां से इस नदी का उद्गम हुआ है वहां से ये नदी मुंडारा, लखनवाड़ा, दिघोरी, छपारा, भीमगढ़, सुनवारा,मंझगवा कोठिघाट,सिद्धघाट से होकर बालाघाट पहुचती है वहाँ से महाराष्ट्र के भंडारा, चंद्रपुर गढ़चिरोली पहुँचती है फिर वहां से आंध्रप्रदेश वर्तमान तेलंगाना राज्य के करीमनगर जिले के महादेवपुरम में गोदावरी नदी में जाकर मिली है इसका लगभग 700 किमी का प्रवाह है इस नदी में बिजना,वाग,कन्हान,थिर्री, वर्धा, ठेल, सागर थावर आदि असंख्य नदियां मिली है इसके सम्बन्ध में कुछ किवदंतियां भी मिलती है शास्त्रों में भी इसका बड़ा भारी महात्म्य देखने को मिलता है शास्त्रों में इसे वैन्या, बैना, और वैणी आदि नाम से जाना जाता है भागवत सहित 10 पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है,भागवत, कूर्म पुराण,मत्स्य पुराण,वामन,वारह पुराण ब्रम्ह पुराण, युगवशिष्ठ आनंद रामायण में भी इसका उल्लेख मिलता है।हमारी पुस्तक बेनगंगा के शास्त्रीय महात्म्य में इसका महत्व देखा जा सकता है यह कोई सामान्य नदी भी नही है कि जब यह प्रत्यक्षम किं प्रमानम, प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नही है कोई भी व्यक्ति आकर देख सकता है कि बेनगंगा सिवनी जिला के मुंडारा से निकलती है इतना ही नही बैनगंगा का छिंदवाड़ा या जबलपुर से कोई सम्बन्ध नही है ये नदी मुंडारा से निकलकर बालाघाट से होकर महाराष्ट्र चली गयी है शोधार्थियों जो भ्रामक जानकारी दी जारही है वह गलत है बैनगंगा सिवनी जिला का प्राण है और यहां के लोग इसे गँगा ही मानते है तथा इसी के जल से कृषि आदि कार्य भी करते है। इस तरह की भ्रामक जानकारी जो भी दे रहा है उस पर कठोरतम कार्यवाही की जानी चाहिए कुछ समय पहले भी मध्यप्रदेश सरकार ने पूर्व में भी आद्य शंकराचार्य को लेकर भ्रामक प्रचार किया गया था उसमें भी आठवी शताव्दी में प्राकट्योत्सव बताया था जो गलत है ये सब सरकार हमारी भौगोलिक और शास्त्रीय प्रमाणिकता को क्यूं भृमित कर रही है क्या मंशा है। ये सरकार तो हिन्दू सरकारे है कही ऐसा तो नही है कि जगद्गुरू शंकराचार्य जी पवन जन्म स्थली है इसिलए सरकार ऐसा कर रही है। इसकी जांच होनी चाहिए।
बैनगंगा नदी सिवनी जिले से ही उद्गमित नदी है, वाटर बोर्ड एवम प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय भ्रामक जानकारी न दें- निर्वकिल्प स्वरूप
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