केवलारी । सरकारी कामों में किस तरह से सरकारी पैसों की होली खेली जाती है इसका नमूना देखना हो तो सिवनी से बेहतर उदाहरण कहीं नहीं मिलेगा। यहां हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कई नमूने देखने को मिल सकते हैं। एक ऐसा ही मामला केवलारी क्षेत्र के रेचना गाँव का है जहां पर हाल में ही बना 78 लाख रुपए का बांध पहली बारिश भी नहीं झेल सका और जमींदोज हो गया।
अब इस मामले के सामने आने पर अधिकारी और ठेकेदार एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। आरईएस विभाग ने ठेकेदार का बकाया पेमेंट रोक दिया है और ठेकेदार मामले में विभाग को कोर्ट में खींचने की धमकी दे रहा है। इस खींचतान में दर्जनभर किसान परेशान हैं जिनके खेतों में कोई फसल नहीं हो पाई है।
जिले की सीमा के आखिरी छोर में बनाथर गाँव में स्थित रेचना गाँव में पिछले वित्तीय वर्ष में गाँव के एक नाले में एक बांध का निर्माण आरईएस विभाग ने शुरु किया। 78 लाख रुपए की लागत के इस बांध का निर्माण के लिए बकायदा टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया, जिसके बाद एक ठेकेदार नीलेश्वर ठाकुर को इस बांध के निर्माण का ठेका दिया गया।
जून माह में बांध का निर्माण पूरा हो गया था लेकिन सितंबर माह में मानसून के आखिरी दिनों में बांध नाले के पानी के वेग को नहीं झेल पाया और ढेर हो गया। शुरुआत में तो जिम्मेदारों ने मामले को दबाने की भरपूर कोशिश की लेकिन बाद में मामले के सीएम हेल्पलाइन में चले जाने के बाद इसमें लीपापोती की कोशिशें शुरु हो गईं।
इस बांध के ढह जाने के बाद अब ठेकेदार और विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। जहां आरईएस विभाग का कहना है कि इस काम का बकाया भुगतान जो लगभग 58 लाख रुपए है रोक दिया गया है। यह पेमेंट बांध को पूरा बनाने के बाद ही दिया जाएगा। वहीं मामले में ठेकेदार का कहना है कि विभाग ने उनसे टेंडर देने के दौरान कई जानकारियां छिपाईं थीं। बांध की लंबाई आदि के बारे में जानकारियां छिपाई गईं। अब वे विभाग के खिलाफ कोर्ट में जाने का मन बना रहे हैं। हकीकत चाहे जो हो लेकिन इस रस्साकशी में इस बांध की जद में आने वाले तीन तालाब और एक दर्जन किसानों के खेत पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जिससे ग्रामीण खासे परेशान हैं। उन्होंने सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की है लेकिन अब तक न ही मुआवजा मिला है ना ही कोई आश्वासन।
विभाग ने टेंडर में जो लिखा था उसकी जगह कुछ और ही निर्माण कराया गया. मैं विभाग के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा हूं.
नीलेश्वर ठाकुर, ठेकेदार.
ठेकेदार कोर्ट जाना चाहें तो जाएं, स्वतंत्र हैं. शासन भी जवाब देगा. फिलहाल ठेकेदार को बांध नए सिरे से बनाने के लिए कहा गया है, इसके बाद ही बाकी पेमेंट होगा. अभी ठेकेदार को मिट्टी के काम का बीस लाख रुपए ही पेमेंट दिया गया है.
रविंद्र कुमार खनोरकर,
अनुविभागीय अधिकारी,
ग्रामीण यंात्रिकी विभाग.