प्रयागराज के इस मंदिर में मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति, देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

Ranjana Pandey
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कल 2 अगस्त को नागपंचमी है. इस अवसर पर प्रयागराज में दारागंज के नागवासुकि मंदिर (Prayagraj Nagvasuki Temple) की महिमा विशेष रूप से बढ़ जाती है. सावन माह और नागपंचमी पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है. वहीं, कालसर्प के दोष (kashi vishwanath) से भी मुक्ति मिलती है. ये दुनिया का अनोखा मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है. साथ ही कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है.      

दूर-दूर से भक्तों का लगता है जमघट –

वैसे तो वर्ष भर मंदिर में भक्त कम ही संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन सावन और नागपंचमी में भक्तों का मंदिर में सैलाब पहुंचता है. देश के दूर-दराज क्षेत्रों से भक्त मंदिर में पहुंचकर पूजा -अर्चना करते  है. यही वजह है कि नागपंचमी पर्व पर यहां मेला जैसा लगता है. भक्त मंदिर में पहुंच कर दर्शनलाभ लेने के साथ ही (snake temple in prayagraj) पूजा-अर्चना करते हैं.  

   

नाग देवता केंद्र में प्रतिष्ठित –

अपने अनूठे वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध नागवासुकि मंदिर, विश्व का इकलौता मंदिर है, जिसमें नागवासुकि की आदमकद की प्रतिमा है. मंदिर के पूर्व-द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हैं, जिनके बीच में लक्ष्मी के प्रतीक कमल दो हाथियों के साथ बने हैं. इसकी कलात्मकता सबसे अधिक आकर्षित करती है. नागवासुकि का विग्रह भी आकार-प्रकार में कम सुंदर नहीं है. देश में ऐसे मंदिर अपवाद रूप में ही मिलेंगे, जिसमें नाग देवता को ही केंद्र में प्रतिष्ठित किया गया हो. इस दृष्टि से नागवासुकि मंदिर असाधारण महत्ता रखता है.       

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