कोरोना वायरस के कारण दुनिया में कोहराम मचा हुआ है. कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लागू है. वहीं भारत में भी कोरोना के कारण 21 दिनों का लॉकडाउन लागू है. इस बीच आज देश और दुनिया में ईसाई धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक ईस्टर मनाया जा रहा है.
ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार, गुड फ्राइडे के तीसरे दिन ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे. ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की खुशी में ईस्टर पर्व मनाया जाता है. इसे ईसाई धर्म के लोग ईस्टर संडे के नाम से मनाते हैं. ईस्टर के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभकामनाएं दी हैं. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा है कि ये ईस्टर हमें कोविड-19 को सफलतापूर्वक मात देने और एक स्वस्थ ग्रह बनाने की शक्ति प्रदान करे.
कैसे मनाया जाता है ईस्टर?
ईस्टर पर्व के पहले सप्ताह को ईस्टर सप्ताह कहा जाता है. इस दौरान ईसाई धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं, साथ ही व्रत रखते हैं. ईस्टर पर्व पर सभी चर्चों को खास तौर पर सजाया जाता है. इस दिन चर्च में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं. ईसाई धर्म के कई लोग इस दिन अपने घरों को भी मोमबत्तियों से रोशन करते हैं. ईस्टर डे के दिन विशेष तौर पर बाइबिल का पाठ किया जाता है. हालांकि लॉकडाउन के कारण देश में धार्मिक स्थल भी बंद हैं.
कैसे हुई ईस्टर की शुरुआत?
ईसाई धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, हजारों साल पहले गुड फ्राइडे के दिन ईसाह मसीह को यरुशलम की पहाड़ियों पर सूली पर चढ़ाया गया था. इसके बाद गुड फ्राइड के तीसरे दिन यानी पहले संडे को ईसाह मसीह दोबारा जीवित हो गए थे. माना जाता है कि पुनर्जन्म के बाद ईसा मसीह करीब 40 दिन तक अपने शिष्यों के साथ रहे थे.
इसके बाद वे हमेशा के लिए स्वर्ग चले गए थे. इसलिए ईस्टर पर्व का जश्न पूरे 40 दिन तक मनाया जाता है. लेकिन आधिकारिक तौर पर ईस्टर पर्व 50 दिनों तक चलता है. इस पर्व को ईसाई धर्म के लोग बड़ी धूम-धाम और उत्साह से मनाते हैं. हालांकि इस साल कोरोना वायरस के चलते यह त्योहार लॉकडाउन के नियमों को ध्यान में रखते हुए घर के अंदर ही सेलिब्रेट करना होगा.