दिवाली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो सितंबर के मध्य से नवंबर के बीच मनाया जाता है। यह धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित है। दिवाली या दीपावली, पांच दिनों का त्यौहार है जो अश्विन और कार्तिक के महीनों में आता है।
इसे बंदी छोड़ दिवस, काली पूजा, स्वांति और तिहाड़ के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू, जैन, सिख और कुछ बौद्ध धर्मावलंबी इस त्यौहार को मनाते हैं। 2024 में यह त्यौहार शुक्रवार, 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटते हैं।
लक्ष्मी पूजा का महत्व और अनुष्ठान क्या है?
लक्ष्मी पूजा दिवाली के पवित्र त्यौहार पर किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है। देवी धन, प्रचुरता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में वित्तीय स्थिरता और सफलता मिलती है।
इस दिन परिवार के सदस्य पारंपरिक पोशाक पहनते हैं और अपने घरों को रोशनी, फूल, मोमबत्तियाँ, दीये और अन्य चीज़ों से सजाते हैं। लोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन भी बनाते हैं, देवी को भोग लगाते हैं और देवता की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, देवी सरस्वती और भगवान कुबेर सहित चार देवताओं की पूजा की जाती है।
दिवाली का समय और मुहूर्त
दिवाली कार्तिक या आश्विन महीने की अमावस्या को मनाई जाती है। इस साल दिवाली का त्यौहार 1 नवंबर को मनाया जाएगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर, 2024 को सुबह 06:22 बजे शुरू होगी और अमावस्या तिथि 1 नवंबर, 2024 को सुबह 8:46 बजे समाप्त होगी। लक्ष्मी पूजा तिथि शाम 06:10 बजे शुरू होगी और रात 08:52 बजे समाप्त होगी। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी, काली चौदस, भूत चतुर्दशी, रूप चौदस और दीपावली भोगी के नाम से भी जाना जाता है।