भोपाल। महाकौशल के 1 बड़े भाग छिंदवाड़ा जिले में आचार संहिता खत्म होने के बाद यूनिवर्सिटी बनाए जाने की घोषणा होना लगभग तय माना जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वर्तमान समय में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से संबंधित छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, बैतूल, होशंगाबाद जिले को छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी में शामिल किया जाना लगभग लगभग तय बताया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि कागजी कार्रवाई लगभग लगभग पूरी हो चुकी है, बस आचार संहिता समाप्त होने के बाद औपचारिकता घोषणा पूरी होना बाकी है। गौरतलब रहे कि 1990 के दशक में हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा जिले अलग होकर जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में शामिल हुए थे।
अब यह छिंदवाड़ा में स्थापित होने वाली नई यूनिवर्सिटी जो कि मध्य प्रदेश की 25वीं यूनिवर्सिटी होगी उसमें शामिल हो जाएंगे ।
गौरतलब रहे कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अड़ियल रवैया के कारण अधिक छात्रों ने तो इस यूनिवर्सिटी से पढ़ने से तौबा कर ली थी, शायद हो सकता है इस कारण भी यह कदम उठाया जा रहा हो और इन जिलों की होनहार छात्रों का भविष्य अच्छी तरह से सवारने के लिए और शासकीय विश्वविद्यालय तक लाने के लिए यह कवायद की जा रही हो।
गौरतलब रहे कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय द्वारा बालाघाट जिले में आधा दर्जन कॉलेज तो खोल दिए गए, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया नतीजा वर्षों पुराने बैहर अरण्य भारती कॉलेज में आज तक प्राध्यापकों की कमी बड़ा कारण बनी हुई है।
तिरोड़ी कॉलेज, कटंगी कॉलेज, महकेपार कॉलेज, मलाजखंड कॉलेज, लामता कॉलेज की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। इसके अलावा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय पर बहुत अधिक कॉलेजों का बोझ होना भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है
जिस कारण लगातार बीते वर्षों से सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली से आयोजित परीक्षाओं में देरी के कारण छात्रों के 6 महीने से लेकर 1 साल तक बर्बाद हो रहे थे । वही नियमित परीक्षार्थियों की अलावा स्वाध्याय परीक्षार्थियों की परीक्षा में साल- साल भर की देरी भी दर्ज की गई थी।
बीते दिनों ही चुनाव के दौरान मतदान के दिन के आगे पीछे दिनों में परीक्षाएं आयोजित की गई थी। जिसे कारण हजारों छात्र मतदान करने से वंचित रह गए थे । ऐसे कई कारणों से बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा सहित अन्य जिले के छात्रों का रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से मोह लगभग लगभग भंग चुका था।
बालाघाट से जबलपुर की दूरी भी छात्रों के लिए एक बड़ी परेशानी थी। छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी बन जाने से सुविधाओं में इजाफा होगा यही उम्मीद लगाई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि यूनिवर्सिटी का नाम और पूरा खाका लगभग लगभग तैयार हो चुका है बस औपचारिकता और घोषणाएं आचार संहिता के बाद होना बाकी है।