उज्जैन । महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं तथा निजी सुरक्षा एजेंसी के कर्मचारियों के बीच आए दिन हो रहे विवाद की जड़ को लेकर जिला पुलिस-प्रशासन तथा महाकाल मंदिर समिति के द्वारा कोई विश्लेषण नहीं किया जा रहा है।
इसी का परिणाम है कि गार्ड कर्मचारी पुरूषों से विवाद करते हैं तो मामला सामने आ जाता है, लेकिन महिलाएं इनके द्वारा किए गए दुर्व्यवहार की केवल प्रतिक्रिया ही दे पाती हैं।
ऐसा मंदिर में रोजाना हो रहा है। अब मांग उठ रही है कि श्रद्धालुओं की गलती तो बता देती है मंदिर समिति, लेकिन सुरक्षाकर्मियों के व्यवहार को लेकर क्यों चुप्पी साध ली जाती है ?
यह कहना है जिम्मेदारों का
इस संबंध में चर्चा करने पर मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ से चर्चा की गई।
प्रश्न: बीएसएफ जवान और निजी सुरक्षाकर्मी के बीच हुई मारपीट को लेकर क्या कहना है?
उत्तर: कल की घटना के लिए तो बीएसएफ जवान ही जिम्मेदार था। उस समय के सभी सीसीटीवी फुटेज महाकाल थाने को भेज दिए हैं। चूंकि मामला सेना का है,ऐसे में उच्चाधिकारी तय करेंगे कि आगे क्या करना है?
प्रश्न: मंदिर में आए दिन निजी सुरक्षा एजेंसी के जवानों का विवाद श्रद्धालुओं से होता है? क्या ये सुरक्षाकर्मी भीड़ प्रबंधन को लेकर प्रशिक्षित हैै? धैर्यवान है?
उत्तर: मुझे जानकारी में नहीं है कि इन्हे भीड़ प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया है या नहीं? मैं सुरक्षा एजेंसी संचालक से चर्चा करके ही बता पाउंगा, लेकिन यह बात सामने आई है तो अब प्रशिक्षण अनिवार्य करने की सूचना जरूर एजेंसी को देंगे।
प्रश्न: महिलाओं के साथ आए दिन दुर्व्यवहार की घटनाएं हो रही है। क्या निजी सुरक्षाकर्मियों को यह नहीं पता कि महिलाओं, बच्चों से कैसे व्यवहार किया जाता है?
उत्तर: हमने तय किया है कि बगैर प्रशिक्षण के अब निजी सुरक्षाकर्मियों को भीड़भाड़ वाले हिस्सों में तैनात नहीं करेंगे। उन्हे धैर्य रखकर काम करना होगा।
यहां गौर करें पाठक….कितने सही हैं निजी सुरक्षाकर्मी
इस संबंध में सहायक प्रशासक मूलचंद जुनवाल से चर्चा की गई।
प्रश्न: बीएसएफ जवान और निजी सुरक्षाकर्मी के बीच हुए विवाद को लेकर क्या कहेंगे? कौन दोषी है?
उत्तर: जितना दोष बीएसएफ जवान का है,उतना ही निजी सुरक्षाकर्मी का भी। यदि उक्त जवान जर्बदस्ती परिवार के साथ घुस रहा था तो निजी सुरक्षाकर्मी तत्काल वरिष्ठों को बताता। तब तक उन्हे समझाकर रोक लेता। क्या जरूरत थी थप्पड़ का जवाब,थप्पड़ से देने की? ड्यूटी इसीलिए लगाई है कि श्रद्धालुओं को समझाकर नियंत्रित करें और व्यवस्था समझाएं ? मारपीट करना गलत था। अंतर क्या रह गया दोनों पक्षों में? हमने सुरक्षा एजेंसी संचालक को बता दिया है कि इसप्रकार का व्यवहार नहीं चलेगा कर्मचारियों का। हर समय श्रद्धालु को दोष नहीं दिया जा सकता। निजी सुरक्षाकर्मियों का प्रशिक्षित होना आवश्यक है।
एजेंसी संचालक बोली: मुझे कुछ नहीं पता
श्री जूनवाल ने बताया कि निजी सुरक्षा एजेंस का नाम कृष्णा सिक्युरिटी सर्विस है। उन्होने मंदिर में ठेका लेनेवाली इस एजेंसी की संचालक रिषिका आहुजा का मोबाइल नम्बर देकर बताया कि सुरक्षाकर्मी प्रशिक्षित है या नहीं? एजेंसी से भी तलाश कर लें।
इस संंबंध में जब मोबाइल फोन किया गया तो दूसरी ओर से महिला ने बताया कि एजेंसी तो उनके नाम से है लेकिन उन्हे कुछ नहीं पता। उनके मैनेजर उज्जैन में महाकाल मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था देखते हैं। ऐसे में वे ही बता पाएंगे कि विवाद क्यों हुआ, जिसका विवाद हुआ,उस पर क्या कार्रवाई की गई, ये कर्मचारी प्रशिक्षित है या नहीं?