भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से पेश किए गए विश्वास मत प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई. इसके साथ ही एक दिन पुरानी शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सदन में बहुमत साबित कर दिया. कांग्रेस का एक भी विधायक सदन में उपस्थित नहीं हुआ. वहीं समाजवादी पार्टी के एक और बहुजन समाज पार्टी के पार्टी दो विधायकों ने शिवराज सरकार को अपना समर्थन दिया. दो निर्दलीय विधायकों सुरेंद्र सिंह शेरा और विक्रम सिंह राणा ने भी शिवराज सरकार को अपना समर्थन दिया.
कांग्रेसी विधायक विश्वास मत के दौरान सदन से रहे गायब
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन सदन की कार्यवाही प्रारम्भ होने के बाद विश्वास मत पेश किया, जिसे आसंदी पर आसीन सभापति जगदीश देवड़ा ने पारित कराने के लिए मतदान की औपचारिकता कराई. सदन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का एक भी सदस्य मौजूद नहीं था. इस दौरान हुए मतदान में विश्वास मत को ध्वनिमत के जरिए सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
शिवराज सिंह सरकार ने हासिल किया सदन का विश्वास
इसके पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि राज्यपाल ने सरकार को पंद्रह दिनों के अंदर सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, इसलिए वे विश्वास मत पेश कर रहे हैं. साथ ही सीएम चौहान ने कहा कि उनकी सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता मौजूदा हालातों में कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकना है. इस दिशा में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही आवश्यक कदम उठाना प्रारंभ कर दिए.
कमलनाथ ने 20 मार्च को दिया मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
आपको बता दें कि कांग्रेस सरकार के अल्पमत में आने के बाद कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बगावत के बाद भाजपा जॉइन करने के साथ 22 कांग्रेसी विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. ये सभी पूर्व विधायक भी भाजपा में शामिल हो गए. शिवराज सिंह चौहान ने 22 मार्च को रात 9 बजे राजभवन में रिकॉर्ड चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया.