भोपाल: मध्य प्रदेश में बिजली गिरने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे राज्य 2021-22 में सबसे ज़्यादा बिजली गिरने (6,55,788) और 2021 और 2022 में सबसे ज़्यादा मौतों (496) के साथ शीर्ष पर बना हुआ है। ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां किसान, मवेशी चराने वाले, मछुआरे, आदिवासी और खुले में काम करने वाले मज़दूर अक्सर इसकी चपेट में आते हैं।
बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्याएं
राज्य नीति आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या अन्य आपदाओं की तुलना में सबसे अधिक है। 2022 में बाढ़ से 15, हीट स्ट्रोक से 27, ठंड के कारण 24 और बिजली गिरने से 496 लोगों की जान गई। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े देखें तो 2021 में 496, 2020 में 429, 2019 में 400, 2018 में 381 और 2017 में 452 लोगों की मौत बिजली गिरने से हुई।
हीटवेव और उच्च तापमान का प्रभाव
मध्य प्रदेश हीटवेव जोन में आता है, जहां पिछले पांच वर्षों (2018-22) में भीषण हीटवेव और हीटवेव दिनों की औसत संख्या क्रमशः 7, 13, 2, 1, 13 थी। छतरपुर और रतलाम जैसे जिलों में अत्यधिक तापमान दर्ज किया गया है, जहां 48 डिग्री सेल्सियस (2002 में) और 45.5 डिग्री सेल्सियस (2023 में) तक का तापमान देखा गया है।
फसलों पर हीटवेव का प्रभाव
दतिया, मुरैना और टीकमगढ़ जिलों में अत्यधिक तापमान के कारण गेहूं और चने की फसलें जल्दी पक गईं और उनका दाना कम हो गया। टीकमगढ़ जिले में आम में फूल और फल का गिरना और फलों का आकार कम होना देखा गया।
अन्य आपदाओं के प्रति संवेदनशीलता
मध्य प्रदेश अन्य खतरों के प्रति भी संवेदनशील है, जिसमें शीत लहर, ओलावृष्टि, औद्योगिक और आग दुर्घटनाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य का आपदा जोखिम परिदृश्य अन्य राज्यों की तुलना में बहुत मजबूत नहीं हो सकता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और खतरों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि के कारण, राज्य को अपनी तैयारियों को मजबूत करने की आवश्यकता है।
आपदा प्रबंधन के लिए राज्य की तैयारियां
राज्य को किसी भी आपदा से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सामुदायिक स्तर से लेकर संस्थागत स्तर तक अपनी तैयारियों को मजबूत करना होगा। बाढ़, चरम मौसम की घटनाएं, आग की घटनाएं जैसे खतरे बढ़ गए हैं, जिससे भविष्य में और भी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं।
समाधान और सुझाव
राज्य को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई कदम उठाने की आवश्यकता है, जिसमें:
- ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाना।
- आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को मजबूत करना।
- स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करना।
- आपदा प्रबंधन के लिए संसाधन जुटाना।
मध्य प्रदेश को इन कदमों को उठाकर आपदाओं के प्रभाव को कम करने और अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करनी होगी।