भोपाल (मध्य प्रदेश): स्कूल शिक्षा विभाग ने मदरसों में नामांकित छात्रों के भौतिक सत्यापन के लिए एक आदेश जारी किया है। अगर किसी गैर-मुस्लिम या मुस्लिम छात्र का गलत तरीके से पंजीयन पाया जाता है या माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जा रही है, तो ऐसे मदरसों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
शुक्रवार को एक निर्देश जारी करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), नई दिल्ली ने उनके संज्ञान में लाया है कि सरकारी अनुदान प्राप्त करने के लिए कई गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों में छात्र के रूप में गलत तरीके से पंजीकृत किया गया है।
इसमें संविधान के अनुच्छेद 28(3) का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है, “राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता प्राप्त करने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में पढ़ने वाले किसी भी व्यक्ति को ऐसे संस्थान में दी जाने वाली किसी भी धार्मिक शिक्षा में भाग लेने या ऐसे संस्थान में या उससे जुड़े किसी परिसर में आयोजित किसी भी धार्मिक पूजा में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक कि ऐसे व्यक्ति या यदि ऐसा व्यक्ति नाबालिग है, तो उसके अभिभावक ने इसके लिए अपनी सहमति नहीं दी हो।”
इस प्रावधान के तहत मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों को अपने छात्रों का भौतिक सत्यापन करना होगा। अगर फर्जी छात्र पंजीकरण पाए जाते हैं तो अनुदान बंद कर दिया जाएगा, मान्यता रद्द कर दी जाएगी और दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।
शिकायतें प्राप्त हुईं: मंत्री
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि फरवरी से ही मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने की शिकायतें मिल रही थीं। जांच में पता चला कि कुछ मदरसे सिर्फ कागजों पर ही चल रहे हैं और इनमें हजारों हिंदू बच्चे नामांकित हैं।
उन्होंने कहा कि किसी को भी जबरन किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती और इस तरह के उल्लंघन के चलते स्कूल शिक्षा विभाग ने धारा 18(3) के तहत यह आदेश जारी किया है। सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मप्र में धार्मिक व्यवस्था बाधित न हो।”