मोदी का मास्टर स्ट्रोक : जनजातीय गौरव दिवस के बहाने कांग्रेस पर निशाना

SHUBHAM SHARMA
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भोपाल : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस की शुरआत का अवसर देश की सियासत को नए संकेत दे गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जनजातीय बंधु-बांधवों के बीच मंच से आदिवासी योद्घाओं को याद करना और अब तक उन्हें विस्मृत करने के आरोप कांग्रेस पर लगाना, देश की राजनीति में एक नया पन्ना जोड़ने का स्पष्ट संकेत है।

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मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कहा कि आजादी के संग्राम में देशभर के आदिवासी समुदायों ने संघर्ष किया, लेकिन स्वतंत्रता के इतिहास में इन नायकों को महत्व नहीं मिला। आजादी के बाद कई दशकों तक कांग्रेस का शासन रहा। अब प्रधानमंत्री आदिवासियों के सम्मान पर सवाल करते हैं, तो कांग्रेस के हाथ खंडन और प्रत्यारोप दोनों से खाली हैं।

निश्चित तौर पर भगवान बिरसा मुंडा की जन्मतिथि पर जनजातीय नायकों के जिक्र के बहाने शहरों से गांवों की गलियों तक उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों पर ध्यान जाएगा ही, जिन्हें कांग्रेस शासन में सम्मान के नाम पर पेंशन और कुछ सुविधाएं ही दी गई, वास्तविक सम्मान तो पार्टी के चुनिंदा चेहरों तक सीमित रहा। भगवान बिरसा मुंडा को महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और डा. भीमराव आंबेडकर के समकक्ष खड़ा करना ही आदिवासियों को हमेशा के लिए भाजपा से जुड़ने पर विवश कर देगा।

भारत में तेजी से उभरता माइक्रोब्लॉगिंग साइट कू पर पोस्ट कर मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश की आजादी के संग्राम में हमारे जनजातीय योद्धाओं, रणबांकुरों ने अभूतपूर्व योगदान दिया, लेकिन एक विशेष पार्टी ने लंबे समय तक शासन करते हुए इतिहास को अंग्रेजों की नजर से देखा और बताया। हमारे जनजातीय नायकों ने स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व न्यौछावर किया, लेकिन कांग्रेस और अंग्रेजों ने इतिहास को ग़लत तरीके से पेश कर उन्हें कभी सम्मान नहीं दिया।

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हमारे जनजातीय नायकों ने स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व न्यौछावर किया, लेकिन कांग्रेस और अंग्रेजों ने इतिहास को ग़लत तरीके से पेश कर उन्हें कभी सम्मान नहीं दिया। धन्यवाद है आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को, जो देश पर महानायकों के ऋण को चुका रहे हैं। #जनजातीय_गौरव_दिवसShivraj Singh Chouhan (@chouhanshivraj) 15 Nov 2021

बढ़ा सकता है कांग्रेस की मुश्किलें
अगले वर्ष की शुरआत में ही उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं, जहां आदिवासी मतदाता कम हैं, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान का मुद्दा कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है। इसका असर पंजाब और उत्तराखंड में दिख सकता है। प्रधानमंत्री ने यह कहकर कि एक राजकुमार को आदिवासियों ने मर्यादा पुरषोत्तम राम बनाया, उत्तर प्रदेश सहित उन सभी राज्यों के लिए आदिवासी को जोड़ने के रास्ते खोल दिए हैं, जहां भगवान राम से जुड़े स्थान हैं और आदिवासियों की आबादी भी है।

इन राज्यों में आदिवासी वोट अहम
आदिवासी आबादी के लिहाज से वर्ष 2022 व 23 में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में आंकड़ा देखें तो मणिपुर में 41 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 34 प्रतिशत, त्रिपुरा में 32 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 23 प्रतिशत और गुजरात में 15 प्रतिशत हैं। यहां भाजपा मोदी मंत्र के सहारे सत्ता का रास्ता तय कर सकती है। इसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आदिवासी समुदाय का साथ भाजपा के लिए बेहद जरूरी है।

वर्ष 2014 में भाजपा ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 27 सीटें जीती थीं। वर्ष 2019 में यह बढ़कर 31 हो गईं। वर्ष 2009 में भाजपा को इनमें से 13 सीटें ही मिली थीं। अब भाजपा की नजर लोकसभा की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उन सीटों पर है, जहां वह दूसरे नंबर पर या बहुत कम अंतर से हारी थी।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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