Mahashivratri Special: History of Devtalab Temple of Rewa- मध्य प्रदेश में देवों के देव महादेव के अनेकों शिवमंदिर है. मध्यप्रदेश में स्थित अनेकों शिवमंदिरों के दर्शन के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं. मध्यप्रदेश के रीवा में एक ऐसा अलौकिक शिव मंदिर है जिसका इतिहास अत्यधिक खास है.
मध्यप्रदेश के रीवा जिले में देवतालाब मंदिर है जो की अत्यधिक अलौकिक है. यह मंदिर रीवा जिला मुख्यालय से सिर्फ 55 किमी की दूरी पर शिवनगरी में है. इस अलौकिक शिवमंदिर में जो शिवलिंग है वह भी बेहद ही ख़ास है.
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इस देवतालाब मंदिर के लिए कहा जाता है कि यहां भगवान भोलेनाथ के इस अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी. यह शिवलिंग इतना अलौकिक है जो हर दिन अपना रंग बदलता है.
Devtalab Mandir Rewa: एक रात में बना मंदिर
देवतालाब शिव मंदिर (Devtalab Shiv Mandir Rewa) का निर्माण स्वयं देवों के देव महादेव भगवान शिव के आदेश पर भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था. इतना ही नहीं इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सिर्फ एक रात में हो गया था.
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देवतालाब शिव मंदिर (Devtalab Shiv Mandir Rewa) में एक पत्थर आज भी रखा हुआ है. इस पत्थर के बारे में यह कहा जाता है कि यहां देवतालाब शिव मंदिर (Devtalab Shiv Mandir Rewa) की आखिरी शिला रखी जानी थी. देवतालाब शिव मंदिर (Devtalab Shiv Mandir Rewa) का निर्माण होते होते सुबह हुई. इसलिए वह पत्थर आज भी वैसा की वैसा ही रखा हुआ है.
देवतालाब मंदिर का इतिहास (History of Devtalab Mandir Rewa)
History of Devtalab Mandir Rewa: इस देवतालाब मंदिर के इतिहास की बात करें तो कहा जाता है कि भगवान शिव शम्भू के भक्त महर्षि मार्कण्डेय (Maharishi Markandeya) अपने आराध्य भगवान शिव की भक्ति के प्रचार के लिए लगातार ही भ्रमण करते थे. भगवान शिव की भक्ति के प्रचार के लिए यात्रा के दौरान महर्षि मार्कण्डेय (Maharishi Markandeya) मध्यप्रदेश के रीवा पहुंचते हैं.
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महर्षि मार्कण्डेय (Maharishi Markandeya) ने देवतालाब में अपनी यात्रा के दौरान विश्राम किया था. विश्राम करते करते महर्षि मार्कण्डेय को भगवान शिव (Lord Shiva) के दर्शन की इच्छा हुई और वे तुरंत ही भगवान शिव की आराधना में लीन हो गए.
महर्षि की इस साधना देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और विश्वकर्मा को उसी स्थान पर एक विशाल मंदिर बनाने का आदेश दिया. शिव की भक्ति में लीन महर्षि मार्कंडेय ने मंदिर निर्माण के बाद अपनी तपस्या समाप्त की.तभी से यह मंदिर शिव भक्तों के लिए बहुत ही खास है.
Devtalab Mandir में भक्तों की अपार आस्था है
देवतालाब मंदिर में देश विदेश के भक्तों की आस्था अत्यधिक है. यहां लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मुंडन, भंडारा आदि का आयोजन करते हैं. इस मंदिर में मेला भी लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है. इसके अलावा महाशिवरात्रि और सावन के दिन भी हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.
देवतालाब मंदिर रीवा: तालाब से बना नाम
देवतालाब मंदिर चारो तरफ से अनेकों तालाब से घिरा हुआ है. यही वजह है कि इस स्थान को देवतालाब कहा जाता है. और जिस स्थान पर यह पूरा परिसर मंदिर तालाब है वस जगह को शिवनगरी नाम से जाना जाता है. शिव मंदिर के परिसर में एक कुंद भी स्थित है जिसे शिवकुंड कहा जाता है. भक्त इस कुंड से जल लेकर ही पंच शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. इसके अलावा यहां गौरी माता का मंदिर भी है. यहां की मान्यता है कि भगवान शिव और मां गौरी की युति करने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.