भोपाल। मध्यप्रदेश में तीन दिन तक अलग-अलग इलाकों में हुई भारी बारिश से कई जगह बाढ़ात के हालात बने हुए हैं। हालांकि, मंगलवार को छिटपुट बारिश के बाद बुधवार को भी सुबह से पानी नहीं बरस रहा है।
इधर, मौसम विभाग ने अगले दो दिन सिर्फ बौंछारे गिरने की संभावना जताई है। इस दौरान तेज बारिश नहीं होगी। इसी बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। उन्होंने प्रदेश में भारी बारिश से पैदा हुईं परेशानियों की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी को दी।
मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से आज प्रात: फोन पर बात कर मध्यप्रदेश में विगत दिनों हुई अतिवृष्टि और इससे उत्पन्न बाढ़ और जल भराव की स्थिति से अवगत कराया। उन्हें बेतवा नदी में आई बाढ़ से प्रभावित हुए विदिशा जिले के क्षेत्रों व रेस्क्यू ऑपरेशन और राहत कैंपों की भी जानकारी दी।
अतिवृष्टि से प्रभावित रायसेन,गुना, राजगढ़, सागर, भोपाल सहित अन्य स्थानों की वस्तुस्थिति से प्रधानमंत्री मोदी जी को अवगत कराया। आर्मी, एनडीआरएफ की तुरंत मदद पहुंचाने व सतत सहयोग और मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री जी के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।
मध्य प्रदेश में बुधवार को बारिश नहीं हो रही है, लेकिन पिछले तीन दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते पार्वती, सिंध और चंबल नदियां उफान के साथ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। जिससे इनके आसपास बसे करीब 150 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
श्योपुर में 40 गांवों में अलर्ट घोषित किया गया है। मुरैना में 30 गांव खाली कराने के साथ ही 100 गांवों को अलर्ट किया गया है। बीना में बेतवा नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है।
विदिशा में बेतवा का जलस्तर थमा हुआ है, लेकिन नदी का पानी लगातार बढ़ रहा है, इससे हांसलखेड़ी व ढिमरोली गांव के 2700 लोग बाढ़ में फंस गए हैं। वहीं हांसलखेड़ी से एक किलोमीटर दूर नदी की ओर बसा पठार टापू बन गया है और यहां पर 50 परिवारों के 200 से ज्यादा लोग फंसे हैं।
बेतवा नदी में आई बाढ़ ने लोगों को 58 साल पहले 1964 में आई बाढ़ की याद दिला दी। इधर, रायसेन में 24 घंटों से बारिश थमी हुई है। बेतवा नदी के उफान पर होने रायसेन-विदिशा मार्ग बंद है। इसके अलावा जिला मुख्यालय से अब भी कई गांवों का संपर्क टूटा हुआ है।
रेस्क्यू टीम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही है। प्रशासन भी शहर समेत गांव पहुंचकर बाढ़ से नुकसानी का आंकलन कर रहा है। नदी किनारे फंसे लोगों तक खाना और दवाई पहुंचाने का काम भी किया जा रहा है।
शिवपुरी के मड़ीखेड़ा बांध से छोड़े जा रहे पानी में ग्वालियर जिले के भितरवार क्षेत्र में 35 साल पुराने बड़गोर पुल का वेयरिंग कोट पानी में बहने के साथ ही एप्रोच रोड भी कट गया है। इससे क्षेत्र के 35 गांवों का रास्ता बंद हो गया है। उन्हें अपने ठिकाने पर पहुंचने के लिए 30 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है। श्योपुर में पार्वती नदी खतरे के निशान से 8 मीटर तो चंबल 1 मी. ऊपर है।
मौसम विभाग का कहना है कि अगले दो दिन मध्यप्रदेश में भारी बारिश के आसार नहीं है। केवल हल्की बौछारें गिरने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 26 अगस्त से नया सिस्टम बनेगा और पांच दिन तक फिर से प्रदेश तरबतर होगा।
हालांकि, यह सिस्टम 20 से 22 अगस्त तक बने सिस्टम की तरह नहीं होगा। मौसम वैज्ञानिक वदप्रकाश सिंह ने बताया कि बंगाल की खाड़ी से नया सिस्टम बन रहा है। आगामी 26 अगस्त से पूर्वी मध्यप्रदेश के हिस्सों में बारिश का दौर शुरू हो जाएगा।