भोपाल: सबसे पहले तो आपको यह जान लेना चाहिए कि सिर्फ “मध्य प्रदेश” ही भारत देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो 6 सांस्कृतिक क्षेत्रों से मिलकर या जोड़कर बनाया गया है, इन सभी सांस्कृतिक क्षेत्रों की बात करें तो इनमे निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, महाकौशल, ग्वालियर और जनजातीय क्षेत्र। इन सबमे मध्यप्रदेश वासियों के लिए सबसे ज्यादा गौरव की बात तो यह है कि मध्यप्रदेश का एक क्षेत्र ऐसा है जहां पर भगवान श्रीराम का शासन था।
मध्यप्रदेश का बघेलखंड: जानिए इतिहास एवं पूरी जानकारी
मध्यप्रदेश के बघेलखंड की बात करें तो बघेलखंड कोसल प्रांत के अंतर्गत आता था, कोसल प्रांत तो आप जानते ही है कोसल प्रांत भगवान् श्रीराम का राज्य हुआ करता था, कोसल प्रांत की राजधानी अयोध्या थी। भगवान श्री राम को जब 14 वर्ष का वनवास मिला तब भगवान् श्रीराम इसी क्षेत्र में आए थे, बघेलखंड से आगे बढ़ते हुए दक्षिण की तरफ गए और समुद्र के तट पर रामेश्वरम पहुंचकर उन्होंने रावण के राज्य लंका पहुंचे थे।
आध्यात्मिक इतिहास और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो मध्यप्रदेश का बघेलखंड भारत का एक प्रमुख क्षेत्र है, और महाभारत के समय की बात करें तो उस समय भी पांडवों ने भी बघेलखंड में वनवास का समय बिताया था। यही कारण है कि इस क्षेत्र में शिव, शाक्त और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा विद्यमान है।
इस क्षेत्र में नाथपंथी योगियो का खासा प्रभाव है, बीर पंथ का प्रभाव भी सर्वाधिक है। महात्मा कबीरदास के अनुयायी धर्मदास बाँदवगढ़ के निवासी थी. बघेलखंड क्षेत्र में मध्य प्रदेश के अनूपपुर, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और उमरिया जिले आते हैं।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला एवं पूर्वी इलाहाबाद बघेलखंड के नक्शे में दिखाई देता है। बघेलखंड भारत का एक प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्र है और इसकी संस्कृति 6000 साल बाद आज भी जैसी की तैसी जीवित है। यहां के लोग आज भी बघेलखंडी में बात करते हुए आनंद और गर्व की अनुभूति करते हैं।